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क्या अहिंसा बेकार गयी?

अपने लेख पर हुई इस आलोचना का कि यहूदी तो पिछले २,००० वर्ष से अहिंसक ही रहे हैं, मैंने जो जवाब दिया था, उस पर एक सम्पादकीय लेख में 'स्टेट्समैन' ने लिखा है:

"पास्टर नीमोलर और लूथेरन चर्च पर हुए अत्याचारों की बात सारी दुनिया को मालूम है; अनेक पास्टरों और साधारण ईसाइयों ने पोप की अदालतों, हिंसा और धमकियों के कष्टों को बहादुरी के साथ बर्दाश्त किया और बदले या प्रतिहिंसा का खयाल किये बिना वे सत्य पर डटे रहे। लेकिन जर्मनी में कौन-सा हृदय-परिवर्तन नज़र आता है! बाइबल के रास्ते चलनेवाले संघों ('बाइबल सरचर्स लीगों) के जिन सदस्यों ने नाजी सैनिकवाद को ईसा के शान्ति-संदेश का विरोधी मानकर ग्रहण नहीं किया, वे आज जेलखानों और नजरबन्द-कैम्पों में पड़े साह रहे हैं और पिछले पांच सालों से उनकी यही दुर्दशा हो रही है। कितने जर्मन ऐसे हैं, जो उनके बारे में कुछ जानते हैं, या बानते भी हैं तो उनके लिए कुछ करते हैं!