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युद्ध और अहिंसा


नहीं कह सकता, मगर ईसा ने अपनी कुर्बानी से जो उदाहरण क़ायम किया है, उससे मेरी अहिंसा में अखंड अद्धा और भी बढ़ गई है और अहिंसा के इसी सिद्धांत के अनुसार ही मेरे तमाम धार्मिक और सांसारिक काम होते हैं। मुझे यह भी मालूम है कि सैकड़ों ईसाई ऐसे हैं, जिनका ऐसा ही विश्वास है। अगर ईसा ने हमें अपने तमाम जीवन को विश्व-प्रेम के सनातन सिद्धान्त के अनुसार बनाने का सन्देश नहीं दिया, तो उनका जीवन और बलिदान बेकार है।


'हरिजन-सेवक' : १४ जनवरी, १९३९