पृष्ठ:Yuddh aur Ahimsa.pdf/१७०

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अहिंसा और अन्तर्राष्ट्रीय मामले १६१ उद्धार हो सकता है, और सारी मानव जाति के लिए भी वह एक बहुमूल्य विरासत दे जायगा ।

     आप पूछंगे कि चीन के बारे में आप क्या कहते हैं ? 

चीन की तो दूसरे किसी देश पर नजर नहीं है । उसे दूसरों के देश पर कब्जा नहीं करना है । यह शायद सच है कि चीन इस प्रकार की आक्रमणनिती के लिए तैयार नहीं । आज जो उसका शान्तिवाद जैसा दिखाई देता है वह शायद निरा प्रमाद ही हो । चाहे जो हो तो भी चीन की वृत्ति सक्रिय अहिंसा की तो है ही नहीं । फिर जापान के आक्रमण से जो वह वीरता पूर्वक अपना बचाव कर रहा है वह भी इस चीज का प्रमाण है कि चीन की वृत्ति सोद्देश्य अहिंसक नहीं है। उस पर आक्रमण हुआ है और वह बचाव कर रहा है यह कोई अहिंसा की दृष्टि से जवाब नहीं है । इसलिए सक्रिय अहिंसा की परीच्ता का समय आने पर वह हीन ही ठहरा । यह मैं चीन की कोई टीका नहीं कर रहा हूँ । मैं चीन की विजय चाहता हूँ । पहले से चली आई परंपरा से देखा जाय तो उसका यह बताव बिलकुल उचित ही है । पर जब हम अहिंसा की दृष्टि से देखने बैठेगे, तब तो मैं यही कहूँगा कि चालीस करोड़ की प्रजा-जापान की जितनी ही सभ्य और संस्कारी प्रजा-जापान के आक्रमण का सामना इस प्रकार करने के लिए निकले, यह आशोभनीय बात है । चीनियों में यदि मेरी धारणा के अनुसार अहिंसा हो, तो जापानियों के पास जो आधुनिक से आधुनिक प्रकार की हिंसक शस्त्र-सामग्री है उसका उन्हें कुछ भी