पृष्ठ:Yuddh aur Ahimsa.pdf/१८७

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१७ युद्ध और अहिंसा पालन करनेवालों के सामने जितनी हो सकती है खोलकर मैंने अपनी राय पेश की है । सत्य का आग्रही व्यक्ति रूढ़ि का अनुसरण करके ही हमेशा कायें नहीं करता, न वह अपने विचारों पर हठपूर्वक आरूढ़ रहता है। वह हमेशा उसमें दोष होने की संभावना मानता है और उस दोष का ज्ञान हो जाने पर हर तरह की जोखिम उठाकर भी उसको मंजूर करता है और उसका प्रायश्चित्त भी करता है ।

आत्मकथा : खंड ४; अध्याय ३ ९