पृष्ठ:Yuddh aur Ahimsa.pdf/२१०

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अहिंसक की विडम्बना बी० द लाइट नामक हालैण्ड के एक लेखक ने अहिंसासम्बन्धी विचारों के बारे में एक लम्बा पत्र कुछ महीने पहले लिखा था । लेखक यूरोप के अहिंसावादियों में से एक हैं और जुलू विद्रोह और बोअर युद्ध में गांधीजी ने जो भाग लिया था उसके और पिछले युद्ध के समय जो रंगरूटों की भरती की थी उसके बारे में उन्होंने कड़ी आलोचना की थी । अब उन्होंने गांधीजी को दूसरा पत्र लिखा है । उसका सार नीचे दिया जाता है । गांधीजी ने ‘यंगइंडिया' में जो उत्तर दिया वह भी इसीके साथ दिया जाता है । पत्र इस प्रकार है "पूज्य गांधीजी आपके अहिंसा-सम्बन्धी विचारों पर मैं जैसे-जैसे विचार करता जाता हूँ वैसे-वैसे मुझे ऐसा लगता है कि आपने अपने देश की दृष्टि से ही इस सम्बन्ध में विचार किया है, सारी दुनिया की दृष्टि से विचार नहीं किया है। उदाहरण के लिए नेहरू-रिपोर्ट को आप स्वीकार करते हैं । उसमें जो विधान