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 विरोधाभास २१३

नागरिक की हैसियत से मेरा धर्म क्या है ? दुसरे एक चुस्त अहिंसावादी की हैसियत से मेरा धर्म क्या है ?

   आज मैं यह जानता हूँ कि मेरी वह मान्यता गलत थी कि मैं सरकार का नागरिक था । परन्तु उपरोक्त चारों प्रसंगों पर मैं यह प्रामाणिकता के साथ मानता था कि अनेक बाधाओं के बीच गुजरते हुए भी मेरा देश स्वतन्त्रता की ओर प्रगति कर रहा है और व्यापक द्ऱुष्टि से देखा जाये तो लाक-दृष्टि से भी सरकार सर्वथा खराब नहीं है । इसी प्रकार ब्रिटिश अधिकारी भी स्थूल और धीमे होते हुए भी प्रमाणित हैं ।
   ऐसी मनोदशा होने का कारण मैंने वही करने का प्रयास किया जो कोई भी अंग्रेज करता ! स्वतन्त्र कार्य प्रारम्भ करने जितना योग्य और मूल्यवान मेने अपने आपको नहीं समझा । मुझे ऐसा प्रतीत नहीं हुआ कि मुझे सरकारी कर्मचारियों के निर्णयों पर न्यायाधीश बनना चाहए । बोश्रर युद्ध के समय, जुलु विद्रोह के समय और पिछले महायुद्ध के समय भी में सरकार के मन्त्रियों में मैं दुष्ट बुद्धि का आरोप नही करता था अंग्रेज़ लोग खासकर बुरे होते हैं अथवा अन्य मनुष्यों से निम्न कोटि के होते हैं, ऐसा मैंने उस समय भी नहीं माना और न आज ही मानता हूँ । मैं उस समय भी उन्हें किसी भी प्रजा के समान उच्च, आदर्श रखने और उच्च कार्य करने योग्य और उसी प्रकार भूल कर सकनेवाले प्राणी मानता था और अब भी मानता हूँ ।