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युद्ध और अहिंसा


हजारों पुरुषों और स्रियों ने किसी भी सेना के सैनिकों के ही समान बहादुरी से तरह-तरह की मुसीबतें नहीं फैली थीं? हिन्दुस्तान में जो सैनिक योग्यता अहिंसात्मक लड़ाई में लोग दिखा चुके हैं उससे भिन्न प्रकार की योग्यता किसी आक्रमाणकारी के खिलाफ लड़ने के लिए आवश्यक नहीं हैं--सिर्फ उसका प्रयोग एक वृहतर पैमाने पर करना होगा।

एक चीज नहीं भूलनी चाहिए। नि:शस्त्र भारत के लिए यह ज़रूरी नहीं कि उसे ज़ह्ररीली गैसों या बमों से ध्वस्त होना पड़े। मजिनेट लाइन ने सिगफ्रडे की जरूरी बना दिया है। मौजूदा परिस्थितियों में हिन्दुस्तान की रकशा इसलिए जरूरी हो गयी है कि वह आज ब्रिटेन का एक अंग है। स्वतंत्र भारत का कोई शत्रु नहींॱ हो सकता। और यदि भारतवासी दृढ़तापूर्वक सिर न झुकाने की कला सीख लें और उसपर पूरा अमल करने लगें, तो मैं यह कहने की जुरत करूँगा कि हिन्दुस्तान पर कोई आक्रमण करना नहींॱ चाहेगा। हमारी अर्थनीति इस प्रकार की होगी कि शोषकों के लिए वह कोई प्रलोभन की वस्तु सिद्ध नहीं होगी।

लेकिन कुछ कांग्रेसजन कहेंगे कि, “ब्रिटिश की बात को दरकिनार कर दिया जाये, तब भी हिन्दुस्तान स्तान में उसके सीमान्तों पर बहुत-सी सैनिक जातियाँ रहती हैं। वे मुल्क की रकशा के लिए जो उनका भी उतना ही है जितना कि हमारा, युद्ध करेंगी।” यह बिल्कुल सत्य है। इसलिए इस शण में केवल कांग्रेसजनों की ही बात कह रहा हूँ। आक्रमण की हालत में वे क्या करेंगे? जब