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आतंक

आजकल अखबरों में आतंक के बारे में कई समाचार पढ़ने को मिलते हैं और इससे भी ज्यादा बातें सुनाई पड़ती हैं। एक मित्र लिखते हैं-

“एकान्त सेवाग्राम में बैठे हुए आप उन बातों और फुसफुसाहटों-अफवाहों की कल्प‌‍‌‌‌ना भी नहीं कर सकते जो व्यस्त नगरों में फैल रही हैं। लोगों पर आतंक या भय छा गया है! आतंक सबसे ज्यादा निःसत्त्व करनेवाली अवस्था जिसमें कोई हो सकता है। आतंक की तो यहाँ कोई वजह ही नहीं है। चाहे जो कुछ गुजरे, आदमी को अपना दिल मज़बूत रखना चाहिए। लड़ाई एक निरी बुराई है। लेकिन उससे एक अच्छी बात जरूर होती है। यह भय को दूर कर देती है और बहादुरी को ऊपर लाती है। मित्र-राष्ट्ररों और जर्मनों दोनों के बीच अब तक लाखों की जानें गई होंगी। ये लोग पानी की तरह खून वहा रहे हैं। फ्रांस और ब्रिटेन में बूढ़े आदमी बूढ़ी और जवान स्त्रियाँ और बच्चे मौत के बीचोंबीच रह रहे हैं। फिर भी वहाँ