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युद्ध और अहिंसा


उसकी बारीकी में व्यंग चित्रकार अच्छी तरह पहुँच गया। उस वक्त एक जिच पड़ी हुई थी। नतीजा जो हुआ वह हम जानते ही हैं। जिसे अदम्य चित्रित किया गया था उसका सत्याग्रह के अचल बल ने, जिसे हम बदले की भावना के बगैर कष्ट सहना कह सकते हैं, सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।

उस वक्त जो बात सच साबित हुई वह अब भी उतनी ही सच हो सकती है। हिटलरशाही को हिटलरशाही तरीकों से कभी हराया नहीं जा सकेगा। उससे तो दस गुनी तेज या ऊँचे दर्जे की हिटलरशाही का ही पोषण होगा! हमारे सामने जो कुछ हो रहा है वह तो हिंसा और हिटलरशाही की भी निष्फलता का ही प्रदर्शन है।

हिटलरशाही की असफलता से मेरा क्या मतलब है, यह मैं बतला दूँ। इसने छोटे राष्ट्रों को उनकी स्वतंत्रता से वंचित कर दिया है। इसने फ्रांस को शांति-प्रार्थना करने के लिए बाध्य किया है। जब यह लेख छपेगा, उस वक्त तक शायद ब्रिटेन को भी अपने सम्बन्ध में कुछ निश्चय कर लेना पड़े। मेरी दलील के लिए तो फ्रांस का पतन ही काफ़ी है। मेरे खयाल में, जो अनिवार्य था उसके आगे सिर झुकाकर और मूर्खतापूर्ण आपसी कत्लेआम में भागी बनने से इन्कार करके फ्रांसीसी राजनीतिज्ञों ने असाधारण साहस का परिचय दिया है। अपना सब कुछ खोकर फ्रांस के विजयी बनने का कोई अर्थ नहीं है। स्वतन्त्रता का जिन्हैं उपभोग करना है उन सभी का उसे प्राप्त करने