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हरेक अंग्रेज के प्रति


नहीं मिलेगा। यह युद्ध मनुष्यजाति पर एक अभिशाप और चेतावनी के रूप में उतरा है। यह युद्ध शापरूप है, क्योंकि आज तक कभी इन्सान इन्सानियत को इस क़दर नहीं भूला था, जितना कि वह इस युद्ध के असर के नीचे भूल रहा है। लड़नेवालों में आज फ़र्क ही नहीं किया जाता, कोई भी इन्सान या कोई भी चीज नहीं छोड़ी जाती। झूठ बोलने को एक कला बना दिया गया है। ब्रिटेन छोटे-छोटे राष्ट्रों की रक्षा करनेवाला कहा जाता था, पर एक-एक करके कम-से-कम आज तो वे सब राष्ट्र गायब हो चुके हैं। यह युद्ध एक चेतावनीरूप भी है। अगर लोग कुदरत की इस चेतावनी से जाग्रत न हुए, तो इन्सान बिल्कुल हैवान बन जायेगा। सच तो यह है कि आज इंसान की करतूतें हैवान को भी शर्मिदा कर रही हैं। मैं कुदरत की इस चेतावनी का अर्थ युद्ध छिड़ते ही समझ गया था। मगर मेरी यह हिम्मत नहीं थी। कि मैं आपसे कुछ कहूँ, किंतु आज ईश्वर ने मुझे हिम्मत दे दी है और मौका भी अभी हाथ से नहीं निकल गया है।

मेरी दरखवास्त है कि युद्ध बन्द किया जाये। इसलिए नहीं कि आप लोग लड़ने से थक गये हैं, बल्कि इसलिए कि युद्ध दरअसल बुरी चीज है। आपलोग नाजीवाद का नाश करना चाहते हैं, मगर आप नाजीवाद की कच्ची-पक्की नकल करके नाजीवाद का कभी नाश नहीं कर सकेंगे। आपके सिपाही भी आज जर्मन सिपाहियों की ही तरह सर्वनाश करने में लगे हुए हैं। फर्क सिर्फ इतना ही है कि शायद आपके सिपाही इतनी सम्पूर्णता से