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नाज़ीवाद का नग्न रूप

एक हालैण्ड-निवासी लिखते हैं:—

"आपको शायद याद होगा कि सन् १९३१ ई॰ में जब आप् स्वीज़रलैंड में रोमाँ रोलाँ साहब के मेहमान थे, तब मैंने आपकी एक तस्वीर खींची थी। इससे पहले भी हिन्दुस्तान में स्वतन्त्रता हासिल करने के लिए जो आन्दोलन चल रहा था उसका मैं रुचिपूर्वक अध्ययन करता था, खासकर आपके नेतृत्व और युद्ध-पद्धति का। आपको मालूम है कि मैं हालैन्ड का नागरिक हूँ। कई सालो तक मैं जर्मनी में रह चुका हूँ। वहाँ अपनी आजीविका के लिए मैं कलाकरी करता था। जब सात साल पहले नाज़ी-शाही ने जर्मनी पर अपनी सत्ता जमा ली, तो मेरी अन्तरात्मा में कई शंकाएँ पैदा होने लगी, खास तौर पर अपने तीन बच्चों की तालीम के बारे में मुझे कई बार हुआ केि आपसे सलाह करूं, मगर पुनर्विचार करने पर मैंने वह खयाल छोड़ दिया। अपना मामला सन्तोषकारक रूप से खुढ ही सुलझा लिया।

एक साल से मैं म्युनिक का अपना घर छोड़कर हालैन्ड में कुछ