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युद्ध और अहिंसा


समय के लिए आ गया था। जब लड़ाई शुरू हुई थी तो जर्मनी में लौटने के बदले मैं हालैंड में ही रह गया, क्योंकि अपने बच्चों को मैं जर्मनी के युद्ध के उन्मादकारी असर से बचाना चाहता था। दस मई को हर प्रकार की कुटिल और सूचम युक्ति की मदद से आखिर हालैंड पराजित किया गया। चार दिन की बेदरेग बमबाजी के बाद हम इंग्लैंड भाग गये, और अब् जावा जा रहे हैं। जावा मेरा जन्म-स्थान है इस नई आबादी में, मैं अपने लिए आजीविका का कोई साधन ढूंढने की कोशिश करूंगा-शोपण के हेतु से नहीं, पर एक अतिथि के तौर पर।

यूरोप ने शस्त्र-बल और हिंसा को अपना आधार बना लिया है। पिछले जमाने में तो फिर भी संग्राम में धर्म-युद्ध के नियमों का कुछ पालन होता था। मगर नाज़ीवाद ने इन सब चीजों की खेश्बाद कह दिया है और मैं सच्चे दिल से यह कह सकता हूं कि आजकल जर्मनी ने जिस तरह मैली दगाबाजी, धूर्तता और कायरता का उपयोग अपने हेतु सिद्ध करने के लिए किया है इस तरह किसी और देश ने नहीं किया। छोटे बच्चों की परवरिश के साथ ही हिंसा करा-कराकर बड़ा किया जाता है। नाज़ी जर्मनी में बच्चों की अपने माँ-बाप के प्रति फरेब और दगाबाजी बाकायदा तौर पर सिखाई जाती है। वैसे ही, तरह-तरह की और अनीतियाँ भी उन्हें सिखाई जाती हैं।

हेर मेन रौशनिग ने “हिटलर के उद्गार” और “विध्वंसकारी क्रांति” के नाम से दो पुस्तके लिखी हैं। श्री रौशनिग हिटलर के