भ्रमरगीत-सार/३६२-ऐसो माई एक कोद को हेतु

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राग सारंग

ऐसो, माई[१]! एक कोद[२] को हेतु।
जैसे बसन कुसुँभ-रंग मिलि कै नेकुचटक पुनि सेत॥
जैसे करनि किसान बापुरो नौ नौ बाहैं देत[३]
एतेहू पै नीर निठुर भयो उमगि आय सब लेत॥
सब गोपी भाखैं ऊधो सों, सुनियो बात सचेत।
सूरदास प्रभु जन तें बिछुरें ज्यों कृत राई रेत[४]॥३६२॥

  1. माई=सखी के लिए संबोधन।
  2. कोद=ओर, तरफ।
  3. बाहैं देत=कई बाँह जोतता है।
  4. ज्यों कृत राई रेत=जैसे रेत या बालू में राई कर दी गई हो (रेत में बिखरी राई इकट्ठा करना असंभव होता है)।