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कहीं आपका मतलब अर्चना अवस्था तो नहीं था?
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- गोविन्दराय जैनतिरुवल्लुवर 'परिच्छेद ९१ स्त्री की दासता नारी की पद-अर्चना, करने में जो लीन। उच्च नहीं वह आर्यजन, बने न विषयाधीन॥१॥ जो विषयी निशदिन...५२७ B (४४५ शब्द) - ११:११, १० सितम्बर २०२१
- को 'देव' कहकर पुकारते हैं। सम्राट् के पिता गोविन्द स्वामी की बहुत पूजा, अर्चना तथा सम्मान करते थे। वे सदैव पांव–प्यादे उनसे मिलने जाते थे। उन्हीं के जीवन–काल...४९४ B (२,९१५ शब्द) - १७:३२, २४ जुलाई २०२०
- बसहीं इक संगा॥ तन मन अरपउँ, पूज चढ़ावउँ। गुरु परसादि निरंजन पावउँ॥ पूजा अरचा आहि न तोरी। कह रविदास कवनि गति मोरी॥ अखिल खिलै नहिं, का कह पंडित, कोई न कहै...१ KB (५,२४१ शब्द) - ००:५०, २० मई २०२४
- द्वीपान्तर-निवास का सत्ताइसवाँ साल शुरू हुआ। मैंने यथाशक्ति परमेश्वर की अर्चा पूजा कर के इस स्मरणीय दिन का उत्सव किया। इतने दिनों से जो उनकी अप्रमेय दया...६२९ B (२,६१३ शब्द) - १५:२५, १९ नवम्बर २०२१
- ऐसी बाते सुनाते आ रहे थे कि वेद-शास्त्र पढ़ने से क्या होता है, बाहरी पूजा-अर्चा की विधियाँ व्यर्थ हैं, ईश्वर तो प्रत्येक के घट के भीतर है, अंतर्मुख साधनाओं...७०४ B (४,७९९ शब्द) - ००:२१, २० मई २०२४
- और सत्कार, स्नेह और सौमनस्य, संभ्रम और सद्भाव के दो-चार कुसुम लेकर आपकी अर्चना करने के लिये आपके सम्मुख उपस्थित हैं । इस समय हमारे हृदय जिन भावो से आदोलित...३९२ B (१०,६२५ शब्द) - ०४:२८, १३ अक्टूबर २०२१
- दिया करती है। कोई कहते है--कुछ विशिष्ट क्रियाकलाप, प्रतिमा आदि की पूजा-अर्चना करने से और स्वय कुछ विशेष नियमानुसार जीवन यापन करने से वह स्वराज्य मिल सकता...४१५ B (६,१४२ शब्द) - ०८:१०, २५ मार्च २०२३
- ऐसा तो कोई नियम नहीं। जो भाव जिसे अच्छा लगता है उसी भाव से वह ईश्वर की अर्चना करता है। कोई उन्हें सखी समझता है, कोई उन्हें स्वामी समझता है, कोई उन्हें...३७९ B (४,९१६ शब्द) - ०८:०९, २५ जुलाई २०२३
- निकलने लगती हैं। रमा ने कहा—— आपने हाजमे की कोई दवा नहीं की? वकील साहब ने अरचि के भाव से कहा——दवाओं पर मुझे रत्ती भर भी विश्वास नहीं। इन वैद्यों और डाक्टरों...२१५ B (६,७२७ शब्द) - १३:३५, १३ जनवरी २०२०
- मन्दिर बनवा कर मूर्ति की उसमें स्थापना करा दें और एक योग्य ब्राह्मण को पूजा अर्चा के लिये नियत कर दें। ऐसे ब्राह्मण के लिये उन्होंने देवर्षि नारद से पूछा...५९० B (४,७०० शब्द) - ०९:२५, ४ जुलाई २०२३
- सूचक ही समझा । तथापि मन मेरा फिर भी नहीं मानता। अतएव मैं आपकी मानसिक अर्चना करता हूं; आप भी कृपा कर के उसे उसी भाव से ग्रहण कीजिए। आसन अपना तो आपके...५१० B (१५,७३४ शब्द) - ०५:३६, १५ सितम्बर २०२१
- ।। । जगमीपता पाचवारिस । रूपाम पडामोहरम (याजुष. २३; आर्च, ३१) हिमश चायभपतन ( याजुष, १३, आर्च, ४), अविष्टायो यहाभ्यसक (मार्च, १६) अगसळप सपर्व स्याम (...१३० B (१,३६,९२१ शब्द) - १९:४७, १२ फ़रवरी २०२१
- किन्तु ईश्वर पर प्रधानता दी । ईश्वर के आपने चार आदर्शीकरण माने अर्थात् अर्चा (मूर्ति) व्यूहविमल (अवतार) पर (चतुर्भुजनारायण ) और अन्तर्यामी ( सर्व व्यापी...९६ B (७५,१२० शब्द) - २०:४६, १५ मई २०२४