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- मैंने वहाँ देखीं, उनमें सबसे अधिक विस्मय पैदा करनेवाली बात एक योगी की समाधि थी। यह योगी मृत्यु को प्राप्त हो गया; सात दिन तक ज़मीन में गड़ा रहा, और आठवें...३७७ B (२,०९४ शब्द) - ०६:३५, ४ जुलाई २०२३
- अवस्था का ठीक ठीक पता लगाना सहज काम नहीं। हमारी हिन्दी-भाषा विकास-सिद्धान्त का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उसका क्रम-विकाश हुआ है। धीरे धीरे वह एक अवस्था से...५३२ B (६,६४१ शब्द) - ०५:४१, १५ सितम्बर २०२१
- पद्धति पर किया। इसमें संदेह नहीं कि काव्य-रीति का सम्यक् समावेश पहले पहल आचार्य केशव ने ही किया। पर हिंदी में रीतिग्रंथों की अविरल और अखंडित परंपरा का प्रवाह...७०७ B (३,०७६ शब्द) - ०१:४९, २० मई २०२४
- डालने के लिए यह दुखांत रूपक लिखा था। यह छ अंकों में विभक्त है। पहिले में एक योगी आकर एक लावनी गाता है और उसमें अत्यंत संक्षेप में भारत के प्राचीन गौरव का...५१७ B (१,८६८ शब्द) - १५:५०, १७ जुलाई २०२२
- पार'। ये चार बसेरे सुफी साधकों की चार अवस्थाएँ हैं--शरीअत, तरीकत, हकीकत और मारफत। यही मारफत पूर्णसमाधि की अवस्था है जिसमें ब्रह्म के स्वरूप की अनुभूति...४१७ B (३,४३४ शब्द) - २३:५२, १३ मई २०२४
- मैं यह भी जानता हूँ कि लोगों को विशेष अवस्था में अपनी बीती बातों का भी स्मरण नहीं रह जाता। कभी कभी पागलपन की अवस्था में मनुष्य अपने को काँच का [ ८३ ]...७१५ B (६,४६७ शब्द) - ००:५७, ११ अगस्त २०२१
- और इसी सूत्र से उनकी रचना की भाषा में भी विभिन्नता दृष्टिगत होती है। ऐसी अवस्था में उनकी रचनाओं को उपस्थित कर इस बात की मीमांसा करना कि पन्द्रहवीं शताब्दी...७८४ B (५,९०६ शब्द) - ०२:०४, २ जुलाई २०२१
- करनेवाली विद्या को शैरीरव्यापारविज्ञान * कहते हैं। यह विद्या आजकल अत्यंत उन्नत अवस्था को पहुँच गई है। प्राचीन काल मे ही लोगो का ध्यान सजीव व्यापारो की ओर गया...३५७ B (१,९२६ शब्द) - ०८:३८, १३ नवम्बर २०२१
- 'साधारणीकरण' के प्रतिपादन में पुराने आचार्यों ने श्रोता (या पाठक) और आश्रय (भाव व्यंजना करनेवाला पात्र) के तादात्म्य की अवस्था का ही विचार किया है जिसमें आश्रय...५६८ B (४,५५५ शब्द) - १०:५७, २२ अगस्त २०२१
- विद्याभ्यास से ! संतप्त करे और वह आचार्य वैसा ही उपदेश किया करे और ब्रह्मचारी ऐसा निश्चय रक्खे कि जो में प्रथम अवस्था में ठीक १ ब्रह्मचारी रहूंगा तो मेरा...७५४ B (१३,३७२ शब्द) - ०३:२६, ४ अगस्त २०२३
- धर्म के नाम पर आचार्य चतुरसेन शास्त्री 152665धर्म के नाम परआचार्य चतुरसेन शास्त्री तीसरा अध्याय ______ अन्धविश्वास और कुसंस्कार अन्ध विश्वास धर्म की...४२८ B (४,८५१ शब्द) - ०८:४६, ३ मई २०२१
- की अवस्था और लोगों के नैतिक भाव को, जिनके भीतर इन सब देवताओं का भाव विकसित हुआ था, उनसे पृथक करके देखते हैं। कारण, प्राचीन काल की सामाजिक अवस्था आजकल...४८४ B (५,४१६ शब्द) - ०८:०३, २५ मार्च २०२३
- के और आचार्यों के लक्षण भी हैं। अलंकार-सर्वस्वकार राजानक रुय्यक कहते हैं— सूक्ष्म-वस्तु-स्वभाव-यथावद्वर्णनं स्वभावोक्तिः। आचार्य दंडी ने अवस्था की योजना...४१७ B (१३,४४५ शब्द) - १६:३४, १७ अगस्त २०२१
- करा सकते हैं, अत्यन्त भीरु और कायर होकर बहादुर कहला सकते हैं। राजधर्म, आचार्य-धर्म, वीरधर्म सब पर सोने का पानी फिर गया, सब टकाधर्म हो गए धन की पैठ मनुष्य...३५७ B (९,२१५ शब्द) - १६:३६, १७ अगस्त २०२१
- साधनमार्ग में पड़ते हैं अर्थात् जिनका उस कार्य से संबंध होता है। प्राचीन यवन आचार्य अरस्तु ने इसका विचार अपने 'काव्यसिद्धांत' के आठवें प्रकरण में किया है और...४६९ B (२,१४४ शब्द) - ००:०५, १४ मई २०२४
- प्राप्त हुआ। ग्रिफ़िथ साहब अनेक भाषाओं के ज्ञाता हैं, अँगरेज़ी के तो वे आचार्य ही हैं। अँगरेज़ी गद्य और पद्य लिखने में वे अपना सानी नहीं रखते। फिर,अध्यापन-विद्या...५३१ B (२,२१२ शब्द) - ११:५७, १० मई २०२१
- वैशाली की नगरवधू आचार्य चतुरसेन शास्त्री 110691वैशाली की नगरवधूआचार्य चतुरसेन शास्त्री 17. महामिलन अम्बपाली अपने उपवन के लताकुंज में बैठी गहन चिन्तन...४७४ B (३,०५८ शब्द) - १७:५४, २४ जुलाई २०२०
- उसे रूप ही दूसरा दिया गया। बुद्धिवाद की दर्शनों में प्रधानता थी, फिर तो आचार्य ने बौद्धिक शून्यवाद में जिसे पाण्डित्य के बल पर आत्मवाद की प्रतिष्ठा की...४९७ B (५,६१३ शब्द) - १२:५१, १९ नवम्बर २०२१
- करते हैं और वर्तमान अवस्था के सम्बन्ध में अपनी सम्मति निम्नलिखित शब्दों में प्रकट करते हैं*:- "वर्तमान समय (११२३-२४) में अवस्था यह है। विदेशी लेन देन...४८५ B (८,३६७ शब्द) - ०५:२२, २३ नवम्बर २०२०
- संप्रदाय के प्रधान आचार्य्य श्री राघवानंद जी काशी में रहते थे। अपनी अधिक अवस्था होते देख वे बराबर इस चिंता में रहा करते कि मेरे उपरांत संप्रदाय के सिद्धात...८२७ B (११,७५३ शब्द) - ०१:१६, २० मई २०२४