(१) चौबीसवाँ प्रकारण--प्रयाग के भिखारी..१--१२
(२) पचीसवाँ प्रकरण--मांस लक्षण ... १३--२१
(३) छब्बीसवाँ प्रकरण--पौराणिक प्रयाग ... २१--३३
(४) सत्ताईसवाँ प्रकरण--सतयुग का रामा ... ३४--४२
(५) अट्ठाईसवाँ प्राकरण--कांतानाथ के घरेलू धंधे ४३--५१
(६) उंतीसवाँ प्रकरण--घर की फूट ... ५२--६०
(७)तीसवाँ प्रकरण...हिंदी और बलिदान...६१--६९
(८)एकतीसवाँ प्रकरण--काशी की छटा...७०--८१
(९) बत्तीसवाँ प्रकरण--देवदर्शन का आनंद ८२--९२
(१०)तेंतीसवाँ प्रकरण--भक्ति रस की अमृतवृष्टि ९३--१०४
(११)चौतींसवाँ प्रकरण--प्रियंवदा को पकड़
ले गए ... ... १०५--११५
(१२)पैंतीसवाँ प्रकरण--प्रियंवदा का नसीरन...११६--१२१
(१३)छत्तीसवाँ प्रकरण--प्रियंवदा का सतीत्व...१२२--१३०
(१४) सैंतीसवाँ प्रकरण--घुरहू का प्रपंच ...१३१--१४१
(१५) अड़तीसवाँ प्रकरण--भक्ति की प्रतिमूर्ति १४२--१५२
(१६) उंतालीसवाँ प्रकरण--काशी की भलाई
और बुराई ... ...१५३--१६१
विषय
पृष्ठ
(१७)चालीसवाँ प्रकरण--महात्माओं के दर्शन १६२-१७२
(१८)एकतालीसवाँ प्रकरण--व्यापार पर प्रकाश १७३--१८१
(१९)बयालीसवाँ प्रकरण--चरित्र की दरिद्रता १८२--१९१
(२०)तेंतालीसवाँ प्रकरण--गया-श्राद्ध में
चमत्कार ... ...१९२--२०३
(२१)चौवालीसवाँ प्रकरणा -- श्राद्ध पर शास्त्रार्थ २०४--२१७
(२२)पैंतालीसावाँ प्रकरण-मातृस्नेह की महिमा २१८--२२६