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अयोध्या का इतिहास


इसके पीछे मुसलमानों ने वाजिदअली शाह को अर्ज़ी दी कि हिन्दुओं ने मसजिद गिरा दी। इसके प्रतिकूल भी कुछ मुसलमानों ने अर्ज़ी भेजी। बादशाह के एक अर्ज़ी पर यह लिखा।

हम इश्क़ के बन्दे हैं मज़हब से नहीं वाक़िफ़।
गर काबा हुआ तो क्या, बुतखाना हुआ तो क्या?

बादशाह ने एक कमीशन बैठाया जिसने महन्तों को जिता दिया। इस न्याय से संतुष्ट होकर लार्ड डलहौज़ी ने बादशाह को मुबारक-बादी दी।

परन्तु मुसलमान सन्तुष्ट न हुये और लखनऊ जिले की अमेठी के मोलवी अमीरअली ने हनूमान गढ़ी पर दूसरा धावा मारने का प्रबन्ध किया। बादशाह ने मना किया परन्तु उसने न माना और रुदौली के पास शुजागञ्ज में मारा गया। इसके पीछे बादशाह तख्त से उतार दिये गये और नवाबी का अन्त हो गया।