गांधीजी 1 दिया कि जनताने उनमें जो विश्वास रखा है, वह बिल्कुल ठीक है। उन्हें यह विश्वास नहीं था कि वह खुव या जिनके वह नुमाइन्दे हैं वह इस मयो हालतमें अहिंसक नीति चला सकते है। कमेटीके सामने यह भी प्रश्न था कि अहिंसाको शुद्ध समझकर जगतने उसे प्रतिष्ठा दी है। उस प्रतिष्ठाका और उनको और मुझको बाँधनेवाली इन अदृष्ट चीजोंका उन्होंने बलिदान कर दिया। यह बलियान भारी बा। पर यद्यपि एक ही आदर्श या नीतिक अमलमें मतभेव पंदा हुआ है, उससे हमारी २० सालसे भी पुरानी मित्रतामे किसी तरहका फर्फ मोड़े ही पड़ सकता है ? मै इस परिणामसे खुश हूँ भौर रंजीदा भी हूँ। खुश इसलिए कि मैं मतभेदको पश्ति कर सका और ईश्वरने मुझे अकेले खड़े रहने की शक्ति की। रंजीवा इसलिए कि जिनको २० साल तक--ओ आज एक दिनके जैसे लगते हैं साथ रख सका, आज उन्हें साथ रखने की शक्ति मेरे शब्दोंमें नहीं रही। उनका साथ निभा सका यह मेरा सौभाग्य था और अभिमान भी। मैं जानता हूँ कि, अगर ईश्वरने मुझे सच्ची अहिंसाका प्रदर्शन करनेका रास्ता सुक्षा दिया, तो यह तारका टूटना थोड़े दिनकी ही चीज रहेगी। अगर कोई रास्ता न निकला, तो यह साबित हो जायगा कि उन्होंने जुदाईका सबमा बस्ति करके भी मुझे मेरे रास्तेपर जाने दिया! वह अकलमंदी थी। मेरी किस्मतमें मेरी गपुंसकताका दुःखए शान ही लिखा है तो भी जिस प्रधान मुझे इतने वर्ष टिकाया है उसे में छोड़ गा नहीं। मैं नम्रतासे समक्ष लूंगा कि हिसाकी शक्तिको और आगे लेजानेके लिए में पात्र नहीं था। मगर यह दलील और यह शंका इस मान्यता पर है कि अकिंग कमेटी कांग्रेस जनताके मानोंका प्रतिविम्ब है। मैं जानता हूँ कि कमेटी इच्छा और आशा रखती है कि कांग्रेस जनतामें पौरोंकी अहिंसा हो। अगर उनको यह पता चले कि कांग्रेसकी पाक्तिका उनका माप कम था, तो उनको अजहद खुशी होगी । सम्भावना यह है कि बहुमतमें नहीं, पर एक खासी अच्छी छोटीसी अच्छी जमातमें वीरोंकी हिंसा है। यह याव रखा जाय कि इस बारे में बलील नहीं की जा सकती। किंग कमेडीके सवस्योंके सामने सब बलीलें पेश थीं। किंतु अहिंसा हृदयका गुण है। वह बुद्धिपर प्रहार करनेसे नहीं पैदा हो सकता। इसलिए जरूरत इस श्रीजकी है कि अहिंसाकी इस नयी शक्तिका शान्त मगर निश्चयात्मक प्रदर्शन किया जाय । ऐसा करनेका मौका लोहर एकके सामने लगभग हर रोज आला है। साम्प्रदायिक फसाय हैं, बाके हैं, वाग्व-युद्ध है। जो सच्चे हिंसक है यह इन सब चीजों में हिंसाका प्रयोग करेंगे। भगर काफी मात्राम ऐसा किया जाय, तो उसका असर आसपास पर हुए बिना रह नहीं सकसा । मुझे विश्वास है कि एक भी ऐसा कांग्रेसबादी नहीं है, जो सिर्फ हसे अहिंसा की शक्तिमें अविश्वास रखता है। को कांग्रेसवावी मानते हैं कि अन्दरूनी फसाए और बाहरी रक- मणका सामना भी कांग्रेसको महिलाके द्वारा ही करना चाहिए, वह अपने प्रतिविनके व्यवहारमें इस चीजका प्रदर्शन करके बसा। जिस भावमीको एक लगन लगी हुई होती है उसके छोटे से छोटे काममें भी वह अपनी पलक विशाती आली है। इसलिए जिस आवमीपर हिमामा आधिपत्य है, वह अपने घर-परिवारमें, पड़ोसियों के साथ अपने व्यवहारमें। ज्यापारमें, कांग्रेस-सभामोमें, भाम सभालने और विरोपियों का सामना करने में सब जगह 386 n
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