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पृष्ठ:अहिंसा Ahimsa, by M. K. Gandhi.pdf/२०

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अहिसा क्‍या बेकार गयी है? अपने लेक्पर हुई इस आलोचनाका कि यहुदी तो पिछले २००० घर्बसे अहिसक ही रहै, नेजों जवाब दिया था, उसपर एक सम्पादकीय लेखमें स्टेट्समैलं गेलिखा है-

“पास्टर नीमोछूर और छूथेरन चर्चपर हुए भत्याचारोंकी बात सारी दुनियांकों मालूम है; अनेक पास्टरों ओर साधारण ईसा इयोंनेपोपकी अदालतों, हिसा और धमकियोंके कड्टोंफो बहादुरीके साथ बर्दाश्त किया ओर बदले या प्रतिदिताका ख्याल किये बगैर वे सत्यपर कापम रहे। लेकिन जर्मनीमें कौत-सा हृदय-परिवर्तत नजर आता है? “बाइबिलके रारते चलनेवाले

संघों (बआाइबिल सरचस लीगों) के जिन सदस्योंने

गाजी सैनिकावादको ईशा के गास्ति-रंदेशका विरोधी मानकर ग्रहण नहीं किया, थे आज जेलखानों

ओर गजरफन्द-योम्पोर्मे पढ़े सड़ रहे है और पिछके पाँच साऊसे उनकी यही' दुर्दशा हो रही

है । कितने जर्मन ऐरो हैं जो उनके बारेगे कुछ जानते है ? या जानते भी हैतो उनके लिए

फुछ पार है ? “अहिंसा चाहे कमजोरोंका शस्त्र हो था बलवानोंका, किन्‍्हीं अत्यन्त! विशेष परिसिथ-

पियोंके अछयया बह रामाणिकके बजाय व्यक्तिगत प्रयोगकी ही चीज मालूम पड़ती है। मनुष्य अपनी खुदकी मूक्तिफें लिये प्रमत्न करता रहे,राजनीतिज्ञोंका संबंध तो कारणों ,सिद्धान्तों, और' अल्परंस्प्रकोंसे हैं।गान्धीजीका कहना हैकि हर हिठलरको उस साहराके सामने झुकना

पड़ेगा जो उसके अपने तूफानी सैनिकों द्वारा प्रदर्शित साहससे निश्चित रूपेण श्रेष्ठ है।। अगर ऐसा होता,तो हम सी चनेहैकि हर बाप औसी दजकी जैसे मनुष्यकी उसने जरूर तारीफ की होगी । मभर नाजियोंके छिए साहुरा उसी हालतमें गुण मालूग होता हैकि जब उनके अपने ही समर्थक उरासे काम लें; अन्यत वह भाकरोवादी' यहुदियोंकी धृष्टतापूर्ण उत्तेजना हो जाती है। गांषीजीने इस विपषयमें कूरणर झूपमें कुछ करनेमे बड़े-बड़े राष्ट्रोंके असमर्थ होनेके कारण अपना गुसखा' पेश किया है । यह ऐसी असमर्थता है. जिसके छिये हम सबको जफसोस हैऔर हम सब चाहते

है कि यह न रहे। यहुदियोंफो उत्तकी सहानुभूतिसे चाहे बड़ा आववासन मिले, छेकिन उनकी बुद्धिमें इससे ज्यादा मदद भिलनेकी संभावना नहीं है। ईसामसीहका उदाहरण भहिसाका सर्वश्रेष्ठ उधाहरण हैऔर उनको जिस' बुरी तरह मारा गया उससे हमेशाफे लिये यह सिद्ध हो

गया हूँकि सांसारिवा और भौतिक छपमेंयहबड़ी बुरी तरह असफल हो सकती है।/ मेतो यहू नहीं समझता कि पास्दर नीमोफर और दूसरे प्यक्तियोंका कष्ट सहन बेकार

साबित हुआ है । उत्होंने अपने स्वाभिभानकों कायम रखा हैओर यह साबित कर दिया है कि घंभकी अद्भा किसी भी फप्ठ-सहुनसे विध्च॒लित नहीं हो सकती। हुरहिदलरके बिल पिधजामेके

लिए थे काफी साब्रित नहींहुए इससे केवल यही जाहिर होता है कि हर हिदलरका दिल ५ २४१