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पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/४१२

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वन-सम्पति

वैने सम्पत्ति कागज़ बनाने की जाती है । लकड़ी के अतिरिक्त फटे कपड़ों, जूट, के लिए उपयोगी सन, रद्दी कागज़ तथा भूसे से भी कागज़ तैयार होता है वन पदार्थ किन्तु वह बहुत घटिया होना है | अच्छा कागज़ लकड़ी से ही तैयार किया जाता है। भारतवर्ष में सबाई, बैब, तथा भाबर नामक घासों का कागज बनाने में बहुत उपयोग होता है । यह घास बंगाल, छोटा नागपूर, उड़ीसा, नेपाल और संयुक्तप्रान्त में मिलती हैं। इन घासों से भी बहुत बढ़िया कागज़ नहीं बनता । भारतवर्ष के वनों में स्प्रूस ( Spruce ) और स्वेत सनोबर ( Silver fir) बहुत मिलता है जिससे बहुत बढ़िया कागज़ बनाया जा सकता है किन्तु यह वन अधिक ऊँचे पर हैं और भारतीय वनों में मार्गों की सुविधा न होने के कारण इस लकड़ी का उपयोग नहीं किया जाता। अभी थोड़ा ही संमय हुआ कि देहरादून के फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट में बाँस से कागज़ बनाने का सफल प्रयोग हुआ और कुछ कारखाने बॉस से कागज़ बनाने भी लगे हैं। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि याँस से बना हुश्रा कागज़ बाज़ार में प्रतिदन्दिता को सहन कर सकेगा क्योंकि यह कागज़ कुछ महँगा पड़ता है। यदि बाँस से कागज़ बनाने में व्यापारिक सफलता मिल गई तो भारतवर्ष में कागज़ का धंधा बहुत उन्नति कर जायगा । वास के अति- रिक्त ऐलीफैट घास से भी कागज़ बनाने का सफल प्रयोग हुआ है । यह घास श्रासाम, बंगाल और संयुक्तप्रान्त में पाई जाती है। दियासलाई बनाने के लिए अधिकांश कारखानों में सेमल वृक्ष की लकड़ी काम में लाई जाती है.। सेमल का वृक्ष उत्तर भारत दियासलाई के वनों में बहुत पाया जाता है । बंगाल के कारखानों की लकड़ी में सुंदर वन की लकड़ी का उपयोग होता है। सेमल वैसे तो दियासलाई बनाने के लिए उपयुक्त है किन्तु उसकी बत्तियां एक सी नहीं काटी जा सकती। यही इस लकड़ी में दोष है। ऊपर दिये हुए विवरण से ज्ञात होगा कि भारतवर्ष के वनों में मूल्यवान लकड़ी और औद्योगिक कच्चा माल भरा पड़ा है। इनके अतिरिक्त भारतीय वनों में अन्य महत्त्वपूर्ण पदार्थ भी मिलते हैं। बीड़ी बनाने के लिए पत्ते (पलास ) रस्सी बनाने के लिए रेशेदार पौधे, तेल उत्पन्न करने वाले बीज, तथा लकड़ा, गोंद, औषषिया तपा अन्य उपयोगी पदार्थ बहुतायत से मिलते हैं। तेल उत्पन्न करने वाले बीजों में महुआ महत्त्वपूर्ण है। महुश्रा मध्य- भारत, मध्यप्रान्त, और बम्बई प्रान्त में बहुत अधिक उत्पन्न होता है। तेल प्रा० भू०-५१