सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आर्थिक भूगोल.djvu/५१९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५०८
आर्थिक भूगोल

1 . . .. आर्षिका भूगोल है। जो लाइमस्टोनःपास मिलता है वह घटिया है। अब ताता का कारखाना गंगपूर में पागपाश की खानों से लाइमस्टोन. निकालता है परन्तु वह शुद्ध लाइमस्टोन से घटिया होता है। इसके अतिरिक्त मैंगनीजं और जिन रसायनिक पदार्थो (Chiemicals ) की आवश्यकता होती है वे पास ही मिल जाते हैं। जमशेदपूर जिस प्रदेश में स्थित है वहाँ आबादी कम है तथा जो कुछ भी है वह संथाली लोगों की है जो कारखाने में काम करना पसंद नहीं: करते हैं। इस कारण यहाँ अधिकांश मज़दूर विहार तथा संयुक्तप्रान्त के हैं। आरम्भ में इस कारखाने में अधिकतर कुशल' मज़दूर विदेशों से बुलाये गये थे। किन्तु अब अधिकतर कुशल मजदूर भारतीय ही हैं। हाँ थोड़े से: विदेशी मुख्यतः अमेरिकन कुशल मजदूर अवश्य हैं। १९९३ में सर्व प्रथम टाटा के कारखाने ने इस देश में स्टील बनाया... उसी समय प्रथमं योरोपीय महायुद्ध छिड़ गया। विदेशों से भारतवर्ष ही. नहीं एशिया के अन्य देशों में भी स्टील बाना बन्द हो गया। उस समय टाटी के कारखाने को अभूतपूर्व अवसर मिला। टाटा को आशातीत . सफलता मिली । परन्तु युद्ध के समाप्त हो जाने के उपरान्त विदेशी स्टील बनाने वाले कारखाने ने बहुत सस्ते दामों पर स्टील बेंचना प्रारम्भ कर दिया जिससे टाटा के कारखानों को घाटा होने लगा। स्थिति भयंकर हो गई। यह भय होने लगा कि टाटा पायरन एण्ड स्टील कंपनी दिवालिया हो जायेंगी। टाटा कंपनी . ने भारत सरकार से. संरक्षण (Protection ) की मांग की। लेोकमत . तथा एसेम्बली ने भी इस मांग का समर्थन किया। अन्त में 'टेरिफ बोर्ड की शिफारिस के अनुसार भारत सरकार ने स्टील के धंधे को संरक्षण प्रदान किया और टाटा कंपनी बच गई । क्रमशः टाटा कंपनी ने व्यय में कमी करना । प्रारम्भ की और उसकी प्रार्थिक स्थिति सुधर गई। १६३६ के पूर्व टाटा' कंपनी की स्थिति बहुत अच्छी थी और वह विदेशी स्टील से बहुत आसांनी : मुकाबला कर सकती थी। १६३६ के युद्ध के फलस्वरूप इस कारखाने की आर्थिक स्थिति और भी दृढ़ हो जायेगी। टाटा का कारखाना बहुत बड़ा है। संसार के बारह सबसे बड़े लोहे के कारखानों में से वह एक है। 'टाटां के कारखाने में रेल गर्डर तथा अन्य स्टील की वस्तुयें तो बनती. ही ' हैं। परन्तु अभी थोड़ा समय हुआ कि टाटा कंपनी ने एक टिनप्लेट बनाने का कारखाना तथा खेती के औज़ारों के बनाने का कारखाना खड़ा किया है। यही नहीं टाटा का कारखाना भविष्य में जूट और चाय की मशीन, तार तथा अन्य स्टील का सामान बनाने का विचार कर रहा है। इन कारखानों के अतिरिक्त कलकत्ता की बर्न कम्पनी ने इंडियन आयरन