पृष्ठ:आलमगीर.djvu/११०

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खबरार ६५ 1. "वो मैंने बोल दिया है, पूरा करूँगा, अब होम इस बात से मुणो किस पर प्रेमाची मही दोगी।" "नेबिन रख सलामत दो प्रमीर माता सेवादी हाने प्रेयची हो नही होते “यह सब उस मरद दादा कारगुहारी है। उसी ने नाव सक्षामत ने समझाया हिनदि नमावत सौ से बेगम की शारो पर दी गई दो उसे प्रवासी वाहवादों परवी देनी होगी। "मने मी वो उस दोबसोवे से पूरा पदता से लिया है in "नेफिन मा नमार सास का शाहमावा नहीं है, और क्या दइस स्वरेको पहुँचने के अषित नही" "लेकिन जरत शामत यो प्रमीद यह समझते। किमी न कमी पारस से मरना ही पड़ेगा।" "भौर तुमारा बादा। तुममे मा पा बिबस पर कमो फोन थी नही मी "ना ही नहीं-मेरा मामी बाबा कि बादशाह होते ही समाप यादो नापतों से कर दूंगा, दर तक मेरी पारी मणीय, इम अपने दूस्थामाई पर दी बरो।" पार तावरे मी सुख ऐसा राt" "की क्या बात।बेगम, मानिर वासानेवारी, पाचारियों और मीरमादिमासानेबानो से हर सव" "मने बो ठसे तीन बारीपासप्रस्वासर उसे सिपहावार पनाया है इसी से तुम रमे गे" "परस में समाप्रदा । मगर मेरा श्रम, उस पर मी तो गोर स्पेबेगम " "मुझे तुपाय पैमाम मिना वा । हमारा प्रम दुव मुरियो विरार, प्रपना परतयेद गुशाम बेगम बनाना मुनासिब नों। माहिर मशहम्पारे दिन्द हमे बाने। सादिम्दुस्तान दिन 4