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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१५९

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माधमगीर शार के बोबडे यापारियों, मुसाहिये और बिम्मेदार भारमियों को गुलाकर एक छोरा सा बार रगता। उसमें उसने मुझे प्राम पास सोनवाया और और मनोगों से बन और मेना बापता मांगी। उसने साये को तुरस्त परी कमी पूरी करने का दुस्म लिया और विमान दिलाया कि सुरव समाना प पाते ही या प्रम्ये पर प में म राम सोम रेमा। सिरा पाहूपों को भी उसकी पाव माननी पड़ी। रेल-रेसते तपत मन गई। और पदापर मेमा भरती होने लगी। पुने, लाई, मोषी, कुमार सब विपादियों में मरती होमे नये । उमें अप्वी वनमार, घर सोम और सिपाहिलाना ठाठ, बतौर क्या चाहिए । मुराषम्य एक गुप्ताम समापासप गरमात नामावा भाबड़ा बीर और मुपद का एमपिन्सक मा। उसे मुगण में तीन बार पर देकर सूरत पर मामय परमे पुरपार ना बरदिया। मीरवारा मेगा सब दोरा मरने सामने करा दिया। और समरे वाद पर मुराद की मूसंवा पर मन्ती मन मा मा उठणे अप्पा नाता सम्बवाय रिता प्रसव प्रोमा नाम हेर पर जोग । मुराद मे बार में प्रोग्राहिता पा- 'सिलामी पुरतो पना, पाकिबाना और पफादार माई चौसर, मापन सत पदार और मेरी तरफ मामा रमर समबान पर मुझे प्रवार मुखी time पसर जिमाप कुरान शरीफ परम्पोचावर ने और प्रपमे पाक मारा सपाही से बचाने के लिए परर मुवपिक, मिसन हमारे रोमी माइयों में से किसी भी पापणार न होने पर सपा होने में साहा मही है। में पारा एप्रिया मरा पता और कुपन की तम बावल मगरयार हाने पर प्रापबामपनों पर दीपा को ग्रामदों में दिया था। और सबसे बदर या