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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१६१

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YE पालमगीर - देवा । पोष-विवार सहमे अपने बोरे पेठे दुसवान सुप्रमम बोममी सेवस १४ साक्ष दीपपा, फिर मोरममा के पास मेषा! उसले वाम उसने तीन चार सेना दी और उसे स्म दिश कि तुम प्रेरन विके पर गोलाबारी करना पीछे से हम मीभाते है। सुमगन मममम बा सरायो नि पहुँचा तो सम उमम के में मीरजमता और उनके कुछ मो से सरदार । दूतरे पाही ग्मीर मानव खो, महान लो और नबाबत मामले से एक मीत अन्तर पर अपनी-अपनी दापनी राहे परे। चौरकृति मनुवार मुममम ने मीरडमक्षा की नला मेवा किया वो सिमा हमारे मपुर मार्ग सिदमत में बिरहोपरनामहो। मीरजममा मे वरमा--"मैं बादशाभ पा, भौरव मिसा मही रे सवारिया पादचार यात करा" नाका, इटनीविशने मे सेना शेजाने मागरेदी, परन्तु गुप्त रूप से अपमे भेनापतियों पारेय दिया ला में गोवे और बन्दा रामवे हो, कार से रविवनी पूमधाम विवाभा, पर-मोरारी पौष मुस्तान चामो सवमर मोशे-गोलि चलती रही। रिसे से गो जननातेपुर का में मारी गल में मिरते रेरित निस्स-निफावे पपलोड दिया गया और मीरहुमता में सवार मुममम प्रारमसमर्पय र दिया। पर अपने पोरे प्रभाव और कुछ मिसाप शाहबारे पार पहा पदा। निटे पर ग्राहसरे मिधर से गया। उस सबमार एक सेनाना प्राचा गमता पौरपासपता। बनिसने यासत विद्या सापाप्रसादी से बाहर मिल पा पा मार्ग में अपने पिनी रात और पिनय से मीरमाता मक्ष रसिया । पौष ने शापारा पूरी पदादी की।