सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आलमगीर.djvu/१६३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पातमगीर V इसके सने भदौ मसर समझकर औरयर मी व पगा। मौरममा नेपा-"गाये भासम, पासपो मैं पहले ही सोच पनिमालेर तो मेरी पोवप या रोमा " चौरंगबेबी चमकने लगी। उसने धीरे सेमा-"से

  1. बित पा से और मिस सिस्त से पाप पसलरंगे मोर मुनासिब

उमगे मोर रसगा।" "गुरु सूप, मैंने अपने भपतरों किये प्रापौष में मापक मवेतीमित बाय" "अहिरा, और मुझे यह भी पीन है कि पाप मा मुमसे हमेशा पादा करते हैसपल व रये देने से इलार न करेंगे, स्पोरस पफ मुझे रुपयों की भार बहरत, मापके रस रपये भौर पर मैं अपनी स्मित-माजमाई गा मीग्नुमसा मे गम्भीरतापूर्वका-"पाप इत्मीनान रखिए, 'भापके लिए एक प्रम्हा लमाना में मया तापा इस पर सूची से दोनों हाय मकर औरंगवेष मे पा-"तो बस, अब मा प्रायः दीपिए कि मैं मापो दी यह पखवापर मि में पहुँशहूँ। वो मेरा एक पायदा भाप सिवमत में रोगा। इसके बाद हम ऐनों व महिम श्री दुरस्ती परीये पर पाम गोर और शिकार समिरत में एगिय मेरे बाल और सात में नहीं पाता जिदारा शिकोह के रिक्ष में प्रयुगा पैरा होगा और ग ऐसे शस्त पम-पोरसा परवी करेगा को बमारिकार पुस्मन हो" औरणाग ने पत्ताव नमवा और पिनन से पे पानी और मीठुमक्षा मे रमे स्वीकार कर लिया और में एक पपकी मी हेर न बगाई। पापा मुधगम अमीरखममा प्रेसर पार मेग, उसने देवी से नात्यानी मोर पाय मोती और