पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२२४

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किग उभी काप-ताप पहा I उठने का-"यह अच्छी धीगामुस्ती शिवबर्दसी मो माह बीना बाता है।" इस पर एक अंग्रेस ने वसपार निभाकर का-"चुपचाप चमा चाकरीवरना हम तेरा यह पोहा मी दीन खेंगे।" साचार रेशि चुपचाप उनके नाम पाया गया। तीन दिन पार पे मागरे पहुंचे और उन्होंमे सत्र मास एक सराय में रख कर वाला जगा या और वे ए एफ मोर पारिए | निसपाय रेगिर मे मोतीपरावर ठरी में रेणबमाया। ४६. पान का खर्चा इन दोनों को का नाम रामस और रिमय पा। भारत में में पूरे रहे थे। पेदाप के वोपचाने में तोपची । मग मा राय पीर तोप चलाना मोर मात्र दिनों में शराब पीकर मा सेसना पा एमाबोरी, घर-समोर करना बही इन भाषा था। पास्वर में काविमो मगोरे और मेईमान लची । परत मिष या रसगा था। राके पास ऐसे गुवामपी मोफरोपी भाषा पाही ना रावी थी। पर विज्ञापती राम की मोवले उपधुरार पापी मिदमत में पेश किरवा पा। इसी की मार्फत पा चर्षियाना तोंगे मी पाग मे लगी थी, वितकी पराबर हसीन भी काही हरम में मपी और बि बेगम बनामे पर परा सामान और बादशा से भी जस बेटा पा। माप समझ सकसे नियम और धौखरिचत जापाठी, उरिव मनुषित और बारेको प्रमेह नहीं रावा। पामवाई के बाद मागवे मागते उमेरेविट और टेसोगपी माशार होने पता लमा वमी मे सपो-