सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

शर बालमगीर उसे प्रादापमानामे प्रति रिसा। रेविर मे वी माविमापार म किया। उस समय रबार में बहुत अमीर उमग तो । बीर धीरे-धीरे बादणार से बात कर रहा था। एके पास ही नीचे सग एक नारी पो पर पेग पा। शामत बनाने माममे वा । सव अनेर प्रचार के रखों से पापा । उती पर बारणार मतना पर बैठा था। तम्त पर एक पक्ष प्रामियाना मना छनो पर बना था। पोड़ी देर में प्रमीये मे उसे पाने का संकेत मिा। अमीर भी उताप ही दरबार से बाहर भाए, और नराम तक गए । रेविर मैपाकोठरीबवाईपितमें पा प्रभाव पद पा । उनोने उस मार- वाहे पोर तब प्रताप निमा सिसा और अपने साप उठा ले गए। दूसरे दिन रेविरोपीर साहस मे अपने साममे बिर होने प्रहुपम दिया | मेरि मे पाकर देतापाप मास प्रभाव पर्यो पा और ये ऐनो चोर प्रनिगावपर, पनी ही पामे बहीनो। रेविट मे बबीर को उती मावि साम दिया 4 पापणाको तक्षाम मिा पा। मोर ने मुस्कुरा कर प्रा-"क्या पीतुमाया सामान "और उम उन दोनों चोरोंको मौपाचानते गेवर ने दोनों चोरों मोर रेखा और प्रा-“मही दोनों र" "देखो, स सामान से पीय गाब दो नही" रेविर मे देसरा-"बी, सब ठीक।" पीर मे पर विर अपने पुष के पास रेठने का प्यारा किया। रियो को पहचाने का संकेत किया। चिरबिर से गा-"सातम मेरे पानीपरीकोगे"