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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/२५९

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प्रोसमगीर 1 60 सा। फिर उसने प्रबन्त गुप्त रीविठे याश्वानों दुला भेगा। बार दोनों की में बैठे-बार बसा पगमगा दिया। एकात होमे पर गारखाना शिसमिक्षा परत पा। पौरन ने मुस्कुरा र उसके दोनों हाप पा लिए और कहा-'म समझता-बहरिनार बिल्कुल मौर में है।" "बी, सरदास मुमरे है।" "पावणार, ये दो चार ते १" पोरगाव मे एक मेद म नबर से पारस्वाना भोर रेसा, फिर कहा- 'मत तैयार ।" "ये दाबिर है।" "तीस मार मोर परवलव सब ठीक" "चसीपिए " उम्ने अबसत निमार औरसबेब के सामने पेश किये, और उसने गौर से देसार - "मुमान पवार, मी काम चापगा। दो मरे दरबार में पाप बुद ये पत पाकर मुनाएँगे। ममे हुक्म दे दिया है। मैं अभी दरवार मिमा पारवा ।" शारखानों मे स्वीपर पिमा । पौरपये मे एकीमती मोतियों भी माना गळे से उतार र पास्ताका के गले में गाते हुए कहा- "पाप पर न समझे कि भापी विएमत प्र या नाचीच पहला है, बदमागे में आपको ही नहीं सकता । मगर बराबर पाप प्रापरे पानिम हो पाएंगे तो घरा मुझे बसली होती। मगर इसके लिए प्रापको रोपार नि अभी हम परना होगा " पारस्वास ने (सपर रहते-उठते प्रा-" चिवमा पीए में परगा-पितहान मुरारिष दोनो मामा माम्मे मो मिले। और इस पक प्रपनी बार याही ग्रान मी मन गया।