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पृष्ठ:आलमगीर.djvu/३३३

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मालमगीर, मााग लिपा | सौर पैम्पर मुहम्मद, दो उतका गुरु, शिक्षा और रिन् पुरुष पा, अन्त तक बापणार की सेवा में रहा और उसजप गारबादी पहाभाग मी, पिसने अपने पिता के लिए सब माझे विमाडतिरेरी-उसके हाप दी। अन्त में चौपचर वाल की उम्र मेंबरविभागरे में मृत पड़ी नदी पर पी पी, मृत्यु के निकट माई मोर उसने परमात्मा उसी पानोप्र पम्पबार दिवा पौर अपमे प्रापो सतरे पार दिया। मरने से पाते उसने एक वसीयत मिली और अपने कदम्बियों और नौकरीनाम दिए । उक्त बक उसके पास उस दो बेगमें प्रारामारी महस और प्रवाए मास, मेरी गोपारा और दूसरी मिया पी बोरो गीपी पम्त तक पादचारोगनपाय ठीक और पाम तम्तो देता पा। आफ्नी यम मुमवाब मास की सारगार वारी पोर मुसम्मन दुई में राहुना या परी सगा पर रेनवा रहा। उसमे कामा पदा और प्रार्पना ये किऐ नरात दुनिया में मेरी मदद, और उस दुनिया में सारे प्राग पश। सम्ण उमप या ताव बरे बत राया, रतो पणा मे अपनी मासिरी गैस ची। बिस दिन यादवहाँ कोरमा पपा पा, उसी दिन मुसम्मन गुर्व के मीये सीदियों भरपाबा रेटों से पुनकर पद पर दिया गया पा। पादरसा समय पोरकर उसी राह से उसमनाया वागमदद पहुँचा दिया गया, और उनमें बेगम मुमता मासके पास ही उसे बना दिया गया। सारा श्रीमापु की सपना पाकर पा प्रौरतले प्रागयत्र पहुँचा वो अपनी बदनसीव गन पाँमाप से मिला। बाँप्राय मे एक पात भर रहीरे उतरे नगर विए और कहा कि वास्थारमारे अपयको प्रेचमा रगया और चमापन पर रवाएर गया है। सर प्रौरपर पमित दुमा और अपनी पान माराम से पने का पूरा पूग दोषस्व र गरा।