सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/१२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

र श्रालम-फेलि गंगा वर्णन जाही भौह भीजी ऑखि ताकि है जुतीजिये से जीथी: कहे ज्याइहै अमर पद आइ ले । अंथर पसारे ते दिगंबर 3 पनहै.. तोहि...' , छलक: छुपाये गज छोलतम छाइ ले। 'सेख' फहै यापी कोऊ जैनी है कि जापी घड़ो,...* , पापो है,तो नीर वैठि नागन.लप्राय ले । अंग बोरिगंग में निहंग है के बेगि चलि,rinr आगे-श्राउ मैल: धोइनघेल. गैल लाइले १२१६| नोके न्हाइ धोइ धूरि पैठो नेटो पानि, , ....धूरि जटि गई: धूरिजटा२ली भवन में । पैन्हि पैठो: अंबर, सु निको दिगम्बर है: . . दृग,देखो, भाल में अचम्भोताग्यौ मन में। जैसो .हर हिमकर गधरे योगगरला १ भारी घडले रु छाँड्यौः एक 'खने में। देखे दुतिना परत :पांप रेते. पा परत, . . सापरे; ते सुरसरि साँपरेंगे तन, में ॥२४॥ १-निहंग-नंगा (शिव)। २-घजटी महादेव । ३-सापरे तेस्नान करने से।