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पृष्ठ:आलम-केलि.djvu/५७

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पालम कोल भोरी धैस राची जिनि भुरये हो साँचो नहीं, : ___ . काँची प्रीति जानौ, जहाँ हूँ नैना लागे हैं । 'पालम' ,सनेही ते वे पैड़े में बड़े होहिं । पेम पैड़े आये पैंड बड़े ही. सो. भागे हैं। विरहनि बेधे नहीं जानत सनेह सील, लोनी देह दरसन पल, पल : जागे है। अजो मसि भीजी नहीं ऐसी मन :वसी बातें, बोली ठोली हाँसी के कन्हाई दिन आने है .MEEll जामति, ही तुम आपु आपुने ह हाथ नाही, 1. कछू मन खिन ही में खोन है के खोयगो। . खरेई . निडर बैठे. घगर, उसाँस लेत, । .. ..' जानति हौं , इन अँसुअनि डरू धोयगो । रोययो है कान्ह सुतो सोययो को नेहु नहीं, नेमु यहै पेम-पथु बाये, दुख ; बोयगो । आँखिन के श्रागे तुम लागेई रहत..नित, पाचे जिन लागो फोऊ लोग लागू होयगो NEET मनु मिल्यो जालो सुग्नेहूँ मिलि जैए पलि., . 1. हिये मैं जो है है तोऽय पती कहा हाते की । 'सेख' भनि प्रथम 'लंगनि हिलगाने तन, .: तैसो आय ताँचरि४ मैंबर मद माते को । १-मसि भीनना=रेस थाना। २-लाग निकट । -एती कहा हात को -इतनी कायट की।५-सामरि-धुमरी (घम घूम कर गिर पड़ना) .