मचाय॥ आल्हखण्डा २२ जैसि रागिनी मलखेगा देवा तैसे देय बजाय ८३ बजै बसुरिया भल ऊदनकी थेई थेई रहे ताताई ताताई मुखसों बोलें अँगुरिन भाववतावतजायँ ८४ सवैया॥ मोहिगयो माइव शिरताज सो राजके काज सबै विसराये। तानके वान नथा करिया अरिऊपर चित्तको सोउ लुभाये ॥ होनी चहै सो होन भलीविधि ज्ञान औ बुद्धि न होत सहाये। तानके वानलगै मलखानके ज्यानगिरै ललिते मुरझाये ८५ रय्यति मोही सव माड़ो की मोहे बाल वृद्ध औ ज्यान ॥ राजा बोला तब माइव का योगिउ वचनकरो परमान८६ लाखापातुरि म्बरे महलन में ताकी तानसुनी हम भाय ।। की हम मोहे सरि तानन में योगी सत्य दीन तलाय८७ सुनिक बातें महराजा की तुरतै बला लहुरवा भाय ।। तुम बुलवायो त्यहि पातुरिको हमको तान सुनावैआय ८८ हुकुम लगायो महराजा ने लाखा तुरत पहूंची आय ॥ तबला गमके ब्रजवासिनि के औध्वनिगई मँजीरनचाय ८६ लिह्यो सरंगी को मैंदुवा तव लाखानचनलागि त्यहिठायँ ।। को गति वरणे तव लाखाके हमरे बूत कही ना जाय ६० जब दिशिआई वह योगिन के तब फिरि बलालहुवाभाया। हुकुम जो पायें हम दादा को याको हार देय पहिराय ६१ आल्हा बोले तब ऊदनते भैया मानो कही हमार ।। ॥ पहिरे देखी जम्बेराजा लाखा गले नौलखाहार ६२ मूड़ कटाई सत्र योगिन के भैया काहगयो भैया काहगयो बौराय॥ कही न मानी सो भाल्हाकी ताको हार दीन पहिराय ६३