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पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/११

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दुसरा खण्ड


ली‌। कि जो कुछ कम्पनी का माल असबाब लूट और ज़बतीमें आया था सब लौटा दिया जावे कम्पनी के आदमी कलकते में किला चाहे जैसा मजबूत बनावें। टकसाल अपनी जारी करें। अढ़तीसों गांव पर जिन की सनद १७१७ से उन्हों ने पायीथी अपना कबज़ा रक्खें। और महसूल को मुअाफ़ी के लिये उन की दस्तक काफ़ी समझी जावें। इस में शक नहीं कि यह शर्त सिराजुद्दौलाने खाली भुलावा देने और काबूपाने के लिये की थी। जी में उसके दगा थी। वह अंगरेजों से दिली नफरत रखता था और फ्रासांसियोंकी पच्छ करताथा। बलकि उन्हें नौकर भी रखने लगा था। क्राइव ने खूब समझ लिया था कि इस मुल्क में या तो अंगरेज़ ही रहेंगे और या फ्रांसीसी, दोनोंको हर्गिज़ गुज़ारा नहीं। एक नियाम में दो तलवारों का रहना कभी होता नहीं। पस जब सिराजुद्दौलाने फ्रांसीसियों का सहारा ढूंढा। तो क्लाइव को ख़ामख़ाहउसका इलाज करनापड़ा। सिराजुद्दौलासे सबनाखुश थे। उसके जुल्म से लोग तंग आगये थे‌। हर एक को उस के हाथ से अपनी इज्ज़त का खौफ़ था। हर एक अपने जी में उसका ज़वाल चाहता था। निदान उसके बख़शी अलीवर्दीखां के दामादमीर- जाफर और उसके दीवानरायदुल्लम और * जगतसेठ महताब राय ने अपनी जान माल और इज्जत अबद्घ उस ज़ालिम के हाथ से बचाने को मुर्शिदाबाद के रज़ीडंट वाट्स साहिब की मारिफत लाइव के पास यह पयामभेजा किअगर आपसिराजु- द्दौला की जगह पर मीरजाफ़र को सूबेदार बनाओतोहम सब आपकी मदद करते हैं। कलाइवने कहला भेजाकि खातिर्जमा रक्खीमें ५००० आदमी लेकर आता हूं जिन्होंने आज तक कभी पीठ नहीं दिखलायी अगर तुम सिराजुद्दौला को गिरफ्तारनकर सको हमलोग ज़रूरउसे मुल्क से निकाल सकते हैं।, और फिर साथ ही उन शतों पर जो सिराजुदोला के साथ ठहरी थीं


इस किताब बनाने, बालेके परदादा के चचेरे भाई॥