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पृष्ठ:इतिहास तिमिरनाशक भाग 2.djvu/७९

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दुसरा खण्ड


इन्कार कर दिया कि हम इस को राजगी का तिलक नहीं करेंगे आख़िर जब सर्दारों ने देखा कि रानी लाहौरमें रहकर महाराज को भी ख़राब करेगी ओर मुल्क में फुतूर डालेगी साहिब अनंट की सलाह के साथ गवर्नर जेनरल का हुक्रम हासिल किया। और उसे पिंशन घटाकर शेखूपुरेमेंजोलाहोर से १६ कोस के फ़ासिले पर है नज़रबंद कर दिया।


लार्ड डलहौसी

लार्ड हार्डिंग अठारहवीं जनवरी सन १८४८ को विलायत चले गये। ओर उनकीजगहपर लार्ड डलहौसी गवर्नरजेनरल मुक़र्रर हो कर आये।

सन् १८४० के आख़िरमें दीवान मूलराज मुल्तानके नाज़िम १८४० ई० ने लाहौर में आकर अपनीनिज़ामतका इस्तिफ़ा दाखिल किया और सबब इस का यह बयान किया कि जमा बढ़जाने और अर्मिट का बंदोबस्त दूसरी तरह पर हो जाने से उस को नुकसान पड़ा। और मुलतानियोंका मुराफा यानो अपीललाहौर में सुने जाने से उन पर उस का पहला सा दबाव बाक़ी न रहा। निदान इस्तेफ़ा मंजूर हुआ ओर अगन्यू साहिब और लेफ्टिनेंट अंडर्सन साहिब इस मुराद से मुल्तान भेजेगये कि उस सूबे को हमराज से लेकर सर्दार कान्हसिंह नये नाज़िम के सपुर्द कर दें अढ़ाई हज़ार पियादे और सवार और ६ तोपें उन के हमराह थी उन्नीसवीं अप्रैल सन् १८४८ को जब दोनों १८४८ ई० साहिबों ने किले के अंदर जाकर बख़ूबी मुलाहज़ाकर लिया। मूलराज ने उसको उन के सपुर्द किया वेगोरखालीपल्टनके दो कमानों को क़िले में छोड़कर बाक़ी आदमियों के साथ अपने डेरोंकी तरफ लोटे। दीवान मूलराज ओर सर्दारकान्हसिंह


कहते हैं कि मूलराज साहिब के पास जानें को तयार था। लेकिन इसी अर्सी में किसी ने उस के रिश्तेदार रंगराम को जिस ने उसे साहिब के पास जाने की सलाह दी थी ज़ख्मी कर दिया इस बात से डरकर मूलराज अपने मकान को चला गया‌।