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पृष्ठ:ऊषा-अनिरुद्ध.djvu/११७

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इसे कलपाओगे जो तुम तो तम भी कल न पाओगे

अगर ऊषा को मारा तो उमा का दिल दुखाओगे।

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ड्रापसीन