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पृष्ठ:ऊषा-अनिरुद्ध.djvu/२६

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( ९ )

दूसरा दृश्य

(स्थान रास्ता)

[नारद का गाते हुए प्रवेश]

गाना

नारद-श्रीरामकृष्ण गोपाल हरीहर केशव माधव गिरधारी ।
देवकीनन्दन कंसनिकन्दन खलदल गञ्जन असुरारी ॥
मनमोहन सोहन भय भंजन नन्द सुवन करुणाकारी ।
यशुमतिलाल दयाल वेणुधर विपतिविदारण अवतोरी॥

नारायण, नारायण,

शिवजी का नाम है भोलानाथ, इसीलिये तो समय समय पर वे अपने भोलेपन को प्रकट करडालते हैं। इन दिनों भी भोले बाबा भूले हैं । तभी तो वाणासुर को अजेय शक्ति प्रदान की है । यह नहीं विचार किया कि इन असुरोके दल को बढ़ाना देवताओ को कष्ट पहुंचाना है।

पर हमारे भोले बाबा को इसकी क्या परवाह ! उन्होंने तो इस समय प्रासुरी शक्ति ही को बढ़ाया है, मानो नाग को दूध पिलाया है।

भस्मासुर को वरदान देने की बात अभी बहुत पुरानी नही हुई है। रावणासुर पर कृपा करने की कथा तो बच्चा २ तक जानता है । अव नया तूफान उठने का सामान यह वाणासुर का वरदान है। हमें तो मालूम होता है कि यह वरदान पानवाला बलवान वाणासुर एक बार सारे संसार को हिलायेगा और