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पृष्ठ:कपालकुण्डला.djvu/४४

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प्रथम खण्ड
 

कर लेंगे। बेटी! अपनेको सन्तान समझ कर मेरी याद भुला न देना।”

अधिकारी यह देखते हुए रोकर विदा हुई। कपालकुण्डला भी रोती हुई आगे बढ़ी।