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पृष्ठ:कविता-कौमुदी 1.pdf/११६

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दास ६१ इस से पता चलता है कि सुरसारावली लिखते समय सूरदास की अवस्था ६७ वर्ष को थी । उन्होंने साहित्य लहरी नाम का एक और ग्रन्थ बनाया है । उसमें सूरसागर दृष्ट-कूट पदों का संग्रह है । साहित्य लहरी में सूरदास ने एक स्थान पर लिखा है। मुनि पुति रसन के रस लेख । वार । दसन गौरी नन्द को लिखि सुबल संवत पेख ॥ नन्द नन्दन मास छे ते हीन त्रितिया नन्द नन्दन जनम ते हैं बाण तृतिय ऋक्ष सुकर्म जोग विचारि सूर नवीन । नन्द नन्दन दास हित साहित्य लहरी कीन ॥ सुख आगार ॥ अर्थ – मुनि = ७, रसन = रस हीन अर्थात् शून्य रस =६ दसन गौरीनन्द = १=१६०७, नन्द नन्दन मास = वैशाख, छै होन तृतिया = अक्षय तृतीया, तृतिय ऋक्ष=कृतिका नक्षत्र सुकर्म योग । ( देखा सरदार कवि कृत साहित्य लहरी की टीका ) । इस से प्रकट होता है कि साहित्य लहरी १६०७ वि० में बनी । उस समय सूरदास की अवस्था ६७ वर्ष की थी । क्योंकि साहित्य लहरी और सूरसारावली के बनने का समय प्रायः एक ही अनुमान किया जाता है। इस अनुमान के आधार पर सूरदास का जन्म (१६०७-६७) १५४० वि० में होना सिद्ध होता है । सूरदास का जन्म दिल्ली के पास "सोही" गाँव में हुआ था। इनके माता पिता दरिद्र थे। पिता का नाम रामदास था। सूरदास सात भाई थे । छः भाई मुसलमानों के साथ