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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/२५५

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२५२ पूंजीवादी उत्पादन . अन्तिम दो प्रव-पडे, १० प्रतिशत का मसल मुनाफ़ा पैदा करते हैं। इसलिए (सनों के एक से रहते हुए) पनि फैक्टरी में साढ़े ग्यारह बजे के बजाय तेरह घन्टे काम कराया जा सके मार बालू पूंची में लगभग २,६०० पास पार बोड़ दिये गायें, तो प्रसन मनाने को पुग्ने से भी ज्यादा किया जा सकता है। दूसरी मोर, यदि काम के पडों में एक घण्टा प्रति दिन की कमी कर पी जाये, तो (नामों के एक से रहते हुए) प्रसल मुनाफा नष्ट हो जायेगा, पौर यदि काम के बच्चों में से पटे की कमी कर दी जाये, तो मुल मुनाफ़ा भी नष्ट हो पायेगा। . 1 Senior, उप० पु०, पृ० १२, १३। हम उन असाधारण विचारों पर कोई टीका- टिप्पणी नहीं करेंगे, जिनका हमारे उद्देश्य के लिए कोई महत्व नहीं है। उदाहरण के लिए, हम इस कपन के बारे में कुछ न कहेंगे कि कारखानेदार उस रकम को भी अपने कुल या असल मुनाने में शामिल कर लेते हैं, जो मशीनों की पिसाई से होने वाले नुकसान को पूरा करने के लिए जरूरी होती है, या, दूसरे शब्दों में, जिसकी मूल पूंजी के एक भाग की स्थान-पूर्ति के लिए मावश्यकता होती है। इसी प्रकार, यदि उनके दिये हुए पांकड़ों की सचाई के बारे में कोई सवाल हो, तो हम उसको भी अनदेखा कर जाते हैं। लेमोनार्ड होर्नर ने अपने “A Letter to Mr. Senior, etc.", London, 1837 ('मि. सीनियर के नाम एक पत्र, मादि', लन्दन, १९३७), में यह बात सिद्ध कर दी है कि मि० सीनियर के दिये हुए मांकड़े उतने ही बेकार है, जितना कि उनका तथाकषित "विश्लेषण"। लेमोनार्ड होर्नर १८३३ में फैक्टरियों की जांच करने वाले कमिश्नरों में से एक था और १८५६ तक वह फैक्टरियों का निरीक्षक-या कहना चाहिए, दोषान्वेषक रहा था। उसने अंग्रेज मजदूर-वर्ग की ऐसी सेवा की है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। उसने न केवल क्रुद्ध कारखानेदारों के विरुख, बल्कि उस मंत्रि-मंडल के विरुख भी भाजीवन संघर्ष किया, जिसके लिए इस बात की अपेक्षा कि मजदूर ("hands") मिलों में कितने घण्टे काम करते है, इस बात का कहीं अधिक महत्त्व था कि उसे संसद के निम्न सदन में मिल-मालिकों के कितने वोट मिलेंगे। सीनियर ने सिद्धान्त की दृष्टि से जो गलतियां की है, उनके अलावा उनका वक्तव्य बहुत उलमा हुमा भी है। वह सचमुच जो कुछ कहना चाहते थे, वह यह है : कारखानेदार मजदूर से रोजाना ११ घण्टे, या २३ मध-घण्टे, काम मेता है। काम के दिन की तरह हम काम के वर्ष को भी ११ घण्टों- या २३ प्रध-षष्टों-का बना हुमा मान सकते है, बशर्ते कि . वर्ष में काम के जितने दिन हों, उनसे ११६ घण्टों-या २३ मध-घण्टों-को गुणा कर दिया जाये। इस प्रकार इन गुणित २३ प्रध-घण्टों में १,१५,००० पौण्ड की वार्षिक. पैदावार होती है। इसलिए एक प्रध-षष्टे में १,१५,००० पौडx; की पैदावार होती है और २० २३ २० प्रध-घण्टों में १,१५,०००४ पीड-१,००,००० पौण की पैदावार होती है, यानी २० २३ मध-पष्टों में केवल मूल पूंजी बहाल होती है। बचते है ३ प्रध-पष्टे, जिनसे १,१५,०००४ .