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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी १.djvu/४९८

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मशीनें और माधुनिक उद्योग ४६५ . सूती कपड़े की बुनाई के सिस्ट्रिक्टों की प्राबादी के लिये यही सौभाग्य की बात है कि वहां मशीनों में कमिक सुधार हो रहे हैं।" " कहा जाता है कि इनसे " (मशीनों में होने वाले सुधारों से) "वयस्क मजदूरों की कमाई की पर गिर जाती है, क्योंकि उनके एक भाग को काम से पवाब मिल जाता है और इस तरह उनके श्रम के लिये जो मांग रह जाती है, उसकी तुलना में वयस्क मजदूरों की संस्था प्रावश्यकता से बहुत अधिक हो जाती है। निश्चय ही इससे बच्चों के भम की मांग बढ़ जाती है और उनकी मजदूरी की बर बढ़ जाती है। दूसरी ओर, सबको दिलासा देने वाला यह लेखक बच्चों की कम मजदूरी को इस बिना पर उचित सिद्ध करने की कोशिश करता है कि बच्चों की कम मजबूरी उनके मां-बाप को उन्हें बहुत छोटी उम्र में भैक्टरी में काम करने के लिये भेजने से रोकती है। उरे की इस पूरी पुस्तक से इस बात की पुष्टि होती है कि काम के दिन की लम्बाई पर किसी प्रकार की सीमा या प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिये। यह देखकर कि संसद ने १३ वर्ष के बच्चों से १२-१२ घण्टे रोजाना काम लेकर उनको पका गलने की मनाही कर दी है, उरे की उदारपंथी पात्मा को मध्य युग के सबसे अधिक अंधकारमय दिनों की याद मा जाती है। पर फिर भी वह मजदूरों से यह कहने में नहीं चूकते कि उन्हें विधाता को इसके लिये धन्यवाद देना चाहिये कि उसने मशीनों के द्वारा उन्हें अपने 'शाश्वत हितों के बारे में सोचने का अवकाश प्रदान किया है।' 46 . अनुभाग ६ मशीनों द्वारा विस्थापित मजदूरों की क्षतिपूर्ति का सिद्धान्त जेम्स मिल, मैक्कुलक, टोरेन्स, सीनियर, जान स्टुअर्ट मिल और उनके अलावा अन्य बहुत से पूंजीवादी शानियों का दावा है कि ऐसी सभी मशीने, बो मजदूरों को विस्थापित कर देती है, इसके साथ-साथ पोर पनिवार्य रूप से इतनी मात्रा में पूंजी को भी मुक्त कर देती है, जो क इन्हीं विस्थापित मजदूरों को नौकर रखने के लिये काफ़ी होती है। मान लीजिये कि एक पूंजीपति ने कालीन बनाने की एक फैक्टरी में १०० मजदूरों को ३० पौड सालाना के वेतन पर नौकर रखा है। ऐसी हालत में उसकी पस्थिर पूंनी, मो वह हर साल लगा देता है, ३,००० पौण बैठती है। यह भी मान लीजिये कि वह अपने ५० मजदूरों को जवाब देता है और बाकी ५० को नयी मशीनों पर काम करने के लिये लगा देता है, जिनपर उसे १,५०० पौन वर्ष करने पड़े हैं। हिसाब को सरल रखने के लिये यहां पर हम मकानों, कोयला मादि की मोर कोई ध्यान नहीं देंगे। अब यह और मान लीजिये कि कच्चे माल पर इस परिवर्तन के पहले भी पार पब भी हर साल ३,००० पौग होते हैं। क्या इस . 1 Ure, उप पु०, पृ. ३६८, ७, ३७०, २०, २८१, ३२१, ३७०, ४७५। 'शुरू में रिकार्गे की भी यही राय थी, लेकिन बाद को उन्होंने अपनी उस वैज्ञानिक निष्पक्षता और सत्य के प्रेम का स्पष्ट प्रमाण देते हुए, जो उनके खास गुण थे, साफ़ तौर पर यह कह दिया था कि उन्होंने अपना पुराना मत त्याग दिया है। देखिये उप. पु., अध्याय XXXI (acter), “On Machinery" i 'पाठक को यह याद रखना चाहिये कि मैंने यहां बिल्कुल उपर्युक्त प्रर्वशास्त्रियों के डंग का ही उदाहरण दिया है।