पृष्ठ:काव्य में रहस्यवाद.djvu/१६१

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परीक्षाओं में पाठयपुस्तक नियत है। कारण यही है कि सूरदास की कविताओं का इससे उत्तम संग्रह दूसरा नहीं है। कठिन शब्दों के अर्थ तथा प्रारम्म में एक विस्तृत भूमिका होने के कारण पुस्तक की उपयोगिता बहुत बढ़ गई है। यदि आप सूर की कविताओं के प्रेमी हैं तो इस पुस्तक को अवश्य मँगाइए। ग्लेज काग़ज़ पर छपी हुई सुन्दर पुस्तक का मूल्य केवल १॥)

७—सटीक कवितावली
(सम्पादक—प्रो° लाला भगवानदीनजी)

गोस्वामी तुलसीदासजी की कवितावली जो इलाहाबाद यूनीवर्सिटी की इण्टरमीडियट परीक्षा और एडवांस परीक्षा में पाठ्यपुस्तक नियुक्त है, अब तक विद्यार्थियों के उपयुक्त इसकी कोई उत्तम टीका नहीं थी। इस पुस्तक की सरल सुबोध और सामयिक टीका श्रीयुत लाला भगवानदीनजी द्वारा लिखवाकर प्रकाशित की गई है।

अनेक परीक्षाओं में पाठ्यपुस्तक नियुक्त होने के कारण इसे विद्यार्थियों के उपयुक्त बनाने का पूरा ध्यान रखा गया है। सुबोध टीका के अतिरिक्त इसमें कठिन शब्दों के अर्थ उनके शुद्ध रूप, पुस्तक में प्रयुक्त छन्दों के लक्षण और अलंकार तथा पौराणिक कथाएँ भी दे दी गयी हैं। तुलसीदास ने इसमें जिन-जिन भाषाओं के शब्दों का प्रयोग किया है, उन्हें भी यथास्थान दिखलाया गया है। हिन्दी की सभी पत्र-पत्रिकाओं ने इसकी प्रशंसा की है। ऐण्टिक कागज पर छपी हुई ३९० पृष्ठ की सुन्दर उपयोगी पुस्तक सजिल्द का दाम १॥) बिना जिल्द का १।)