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पृष्ठ:कुसुमकुमारी.djvu/२१८

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मरिम्छेद) कुममफर ग २०६ छप्पनयां परिच्छेद. M E ... मानन्द, "आनन्दस्त्र तिरात्मनो नयनयारन्तःसधाभ्यञ्जनं, प्रन्तारः प्रणयस्य मन्थरतः पुष्पं प्रजादो रनेः । मालानं हदयद्विपम्य विषयारण्येषु सञ्चारिणी, दम्पत्यारिद लभ्यते सुकृततः संसारमारः सुतः ॥" (नीतिमञ्जरी) Saxदोनों चहिने फिर जैसशस्त्र के साथ रहने लगी थी। २ उसे हम किस भांनि लिख कर समझा बम, यही कहना बहुन होगा कि मुम रात दिन गुलाम को AMAR संघाग करती और गुलाब नदिन कसम की पलकों पर गुड़िया की तरह खेला करनी थी। यहां तक कि गुलाब रात को भी कुस्तुम का साथ न छोड़ती और दोनों ही बहिन बसन्त के दक्षिण और वाम अंग की शोभा बढ़ानी थीं! अब वे दोनों जहां रहती, साथ ही रहनी दोनों का खाना, पीना, नहाना, धोना, माना जागना. और खेल-खिलवाड़साधही साथहोता गुलाब ने सीबम रंग का हाल जान लिया था, और हुलासी पर भी वह हाल जाहिर कर दिया गया था, मोरयसब यदि जाती, तो साथ ही बागको भी जाती, अर्थात दानोकाकभी छिन भरमीवियोग न होता! इस ममय अपने बाग में असन्त के साथ क मम और गुलाब अठ- खेलियां कर रहीं, और गा-बजा रही हैं। आज यसन्त के यानन्द की सीमा नहीं है. क्योकि उपने प्राण से बढ़ कर दोदी चाहनेवालियों को पाया है। जिससे उसका सांसारिक मन 'स्वर्गीय-मुख' में भी बढ़ गया है ! अन् गुलाब क मम से जग भी डाह नही करतो-- और क मुम? वह तो गुलाब को ग्राम से भी बढ़कर चाहने लगी है, अर्थात गुलाब को कसम उतनाही चाहती है, जितना कि बड़ी बहिन अपनी प्यारी छोटी टन को प्यार कर सामी है। और मारसह मा अब दोनों कोबराबर हा प्यार करन म्मा है