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पृष्ठ:क्वासि.pdf/७३

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डोले वालो डाला लिये चला तुम झटपट, छाओ अटपट चाल, रे, सजन भवन पहुंचा दा हमका, मन का हाल रिहाल, रे, ? घरसा मस्तु में सा सहेलियों मैक पहुँची आय, रे, बावुल घर से भाज चली हम, पिय घर, लाज बिहाय, रे, उनके पिन, बरसाती रातें कैसे कट अचूक, रे ? पिय की बॉह उसीस न हो तो मिटे न मन की हूक, २, डोले बालो, पढ़े चलो तुम माया सध्या काल, रे, सजन भवन पहुंचा दो हमको छोडो गटपट चाल, रे। २ ढली दुपहरी, किरो तिरछी हुइ, साझ नजदीक रे, अभी दूर तक दीस पडे है, पथ की लम्बी लीक, रे, आज सॉझ के पहले ही तुम, पहुचा दो पिय गेह, रे, हम कह पाई है इ दर मे, रात पडेगा मेह, घन गरजेंगे, रस बरसेगा होगी सृष्टि निहाल, रे, डोला लिये चलो तुम जल्दी, छोडो अटपट चाला, रे । ३ बाबुल घर में नेह भरा है, पर मॉ द्वैत विचार, र, सेतालीस