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पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२३४

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बङ्ग विच्छेद आनन्दसे उस पर एक और रगड़ लगाता है। भंगड़-जीवनमें उससे बढ़कर और कुछ आनन्द नहीं होता। माई लाडके भारतशासन- जीवनमें भी इससे अधिक आनन्दकी बात कदाचित् कोई न होगी, जिसे पूरी होते देखनेके लिये आप इस देशका सम्बन्ध-जाल छिन्न कर डालने पर भी उसमें अटके रहे। ___माई लार्डको इस देशमें जो कुछ करना था, वह पूरा कर चुके थे। यहां तक कि अपने सब इरादोंको पूरा करते करते अपने शासनकालकी इतिश्री भी अपनेही करकमलसे कर चुके थे। जो कुछ करना बाकी था, वह यही बङ्गविच्छंद था । वह भी होगया। आप अपनी अन्तिम कीर्त्तिकी ध्वजा अपनेही हाथोंसे उड़ा चले और अपनी आँखोंको उसके प्रियदर्शनसे सुखी कर चलंयह बड़ सोभाग्यकी वात है। अपने शास- नकालकी रकाबीमें बहुतसी कड़वी कसली चीज चख जाने पर भी आप अपने लिये 'मधरेण समापयेत' कर चले यही गनीमत है। अब कुछ करना रह भी गया हो तो उसके पूरा करनेकी शक्ति माई लाडमें नहीं है। आपके हाथोंसे इस देशका जो बुरा भला होना था, वह हो चुका। एकही तीर आपके तर्कशमें और बाकी था, उससे आप बङ्गभूमिका वक्षस्थल छेद चले। बस, यहाँ आकर आपकी शक्ति समाप्त हो गई। इस देशकी भलाईकी ओर तो आपने उस समय भी दृष्टि न की, जब कुछ भला करनेकी शक्ति आपमें थी। पर अब कुछ बुराई करनेकी शक्ति भी आपमें नहीं रही, इससे यहांके लोगोंको बहुत ढाढस मिली है। अब आप हमारा कुछ नहीं कर सकते । ____ आपके शासनकालमें बङ्गविच्छेद इस देशके लिये अन्तिम विपाद और आपके लिये अन्तिम हर्ष है। इस प्रकारके विषाद और हर्ष, इस पृथिवीके सबसे पुराने देशकी प्रजाने बारम्बार देखे हैं। महाभारतमें सबका संहार होजाने पर भी घायल पड़े हुए दुर्मद दुर्योधनको । २५७ ।