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पृष्ठ:गुप्त-निबन्धावली.djvu/२४६

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माला साहबक नाम - - किम बनाया जाय। इसीसे आपको भारतका देशमन्त्री देखकर हाँकी प्रजाको हर्ष हुआ था कि अहा ! बहुत दिन पीछे एक साधु ष-एक विद्वान सजन भारतका सर्व प्रधान शासक होता है ! भारतवासी समझते थे कि मिस्टर माली विद्वान हैं। विद्या पढ़ने र दर्शन-शास्त्रका मनन करनेमें समय बिताकर वह बूढ़े हुए हैं। इ तत्काल जान सकते हैं कि बुराई क्या है और भलाई क्या, नेकी क्या और बदी क्या ? उनको बुराई और भलाईके समझनेमें दूसरेकी हायताकी आवश्यकता नहीं। वरञ्च वह स्वयं इतने योग्य हैं कि उनीही बुद्धिसे ऐसी बातोंकी यथार्थ जाँच कर सकते हैं। दूसरोंके रित्रको झट जान सकते हैं। वह दोषीको धमकायंगे और उसे सुमार्गमें लानेका उपदेश दंगे। भारतवासियोंका विचार था कि आप बड़े यप्रिय हैं । किसीसे जरा भो किसी विषयमें अन्याय करना पसन्द न गे और खुशीको नेकीसे बढ़कर न समझगे। उचित कामोंके करनेमें भी कदम पीछे न हटावंगे और कोई लालच, कोई इनाम और कोई रीसे भारी पद वा राजनीतिक दावपेच आपको सत्य और सन्मार्गसे डिगा सकेगा। आपके मुंहसे जो शब्द निकलेंगे, वह तुले हुए सत्य गे। यही कारण है कि भारतवासी आपके नियोगकी खबर सुनकर हुए थे। पालीमेंटके चुनावक समय जिस प्रकार भारतवासी आपके चुनावकी र टकटकी लगाये हुए थे, आपकं भारत सचिव हो जानेपर उसी चार वह आपके मुँहकी वाणी सुननेको उत्सुक हुए। पर आपके से जो कुछ सुना उसे सुनकर वह लोग जैसे हक्का बक्का हुए · कभी न हुए थे। आपने कहा कि बङ्गभङ्ग होना बहुत खराब म है, क्योंकि यह अधिकांश प्रजावगकी इच्छाके विरुद्ध हुआ। पर हो गया उसे Settled fact, निश्चित विषय समझना चाहिये। [ २२९