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पृष्ठ:गोदान.pdf/१५५

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गोदान : 155
 


विचार बतलाइए। दंपति कैसे सुखी रह सकते हैं, इसका कोई ताज नुस्खा आपके पास है?'

खन्ना खिसिया गए। बात कही मालती को खुश करने के लिए, और वह तिनक उठी। बोले-यह नुस्खा तो मेहता साहब को मालूम होगा।

'डाक्टर साहब ने तो बतला दिया और आपके खयाल में वह सौ साल पुराना है, तो नया नुस्ख़ा आपको बतलाना चाहिए। आपको ज्ञात नहीं कि दुनिया में ऐसी बहुत सी बातें हैं, जो कभी पुरानी हो ही नहीं सकतीं। समाज में इस तरह की समस्याएं हमेशा उठती रहती हैं और हमेशा उठती रहेंगी।

मिसेज खन्ना बरामदे में चली गई थीं। मेहता ने उनके पास जाकर प्रणाम करते हुए पूछा-मेरे भाषण के विषय में आपकी क्या राय है?

मिसेज खन्ना ने आंखें झुकाकर कहा-अच्छा था, बहुत अच्छा, मगर अभी आप अविवाहित हैं, तभी नारियां देवियां हैं, श्रेष्ठ हैं, कर्णधार हैं। विवाह कर लीजिए तो पूछूंगी,अब नारियां क्या हैं? और विवाह आपको करना पड़ेगा, क्योंकि आप विवाह से मुंह चुराने वाले मर्दों को कायर कह चुके हैं।

मेहता हंसे-उसी के लिए तो जमीन तैयार कर रहा हूं।

'मिस मालती से जोड़ा भी अच्छा है।'

'शर्त यही है कि वह कुछ दिन आपके चरणों में बैठकर आपसे नारी-धर्म सीखें।'

'वही स्वार्थी पुरुषों की बात। आपने पुरुष- कर्त्तव्य सीख लिया है?'

'यही सोच रहा हूं किससे सीखूं।'

'मिस्टर खन्ना आपको बहुत अच्छी तरह सिखा सकते हैं।'

मेहता ने कहकहा मारा-नहीं, मैं पुरुष-कर्त्तव्य भी आप ही से सीखूंगा।

'अच्छी बात है, मुझ से सीखिए। पहली बात यही है कि भूल जाइए कि नारी श्रेष्ठ है। और सारी जिम्मेदारी उसी पर है, श्रेष्ठ पुरुष है और उसी पर गृहस्थी का सारा भार है। नारी में सेवा और संयम और कर्त्तव्य सब कुछ वही पैदा कर सकता है, अगर उसमें इन बातों का अभाव है तो नारी में भी अभाव रहेगा। नारियों में आज जो यह विद्रोह है, इसका कारण पुरुष का इन गुणों से शून्य हो जाना है।'

मिर्जा साहब ने आकर मेहता को गोद में उठा लिया और बोले-मुबारक।

मेहता ने प्रश्न की आंखों से देखा-आपको मेरी तकरीर पसंद आई?

'तकरीर तो खैर जैसी थी वैसी थी, मगर कामयाब खूब रही। आपने परी को शीशे में उतार लिया। अपनी तकदीर सराहिए कि जिसने आज तक किसी को मुंह नहीं लगाया, वह आपका कलमा पढ़ रही है।'

मिसेज खन्ना दबी जबान से बोलीं-जब नशा ठहर जाय, तो कहिए।

मेहता ने विरक्त भाव से कहा मेरे जैसे किताब के कीड़ों को कौन औरत पसंद करेगी देवीजी। मैं तो पक्का आदर्शवादी हूं।

मिसेज खन्ना ने अपने पति को कार की तरफ जाते देखा, तो उधर चली गईं। मिर्जा भी बाहर निकल गए। मेहता ने मंच पर से अपनी छड़ी उठाई और बाहर जाना चाहते थे कि मालती ने आकर उनका हाथ पकड़ लिया और आग्रह-भरी आंखों से बोली-आप अभी नहीं जा सकते। चलिए, पापा से आपकी मुलाकात कराऊँ और आाज वहीं खाना खाइए।