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पृष्ठ:गोरा.pdf/२१०

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गोरा

२० ] गोरा हारान बाबूने कहा--"यह अापका कहना एक प्रकार से सच है. यह कहकर इसाको स्वीकार करने के सम्बन्धमें किसी ईसाई के साय हारांभ बाबू का कहाँ मतभेद था और कहाँ वह सम्मत था--- - इसीकी सूक्ष्म भावसे चर्चा उसने मैजिस्ट्रेटसे की और उनका ध्यान इस प्रकार अपनी ओर खींच लिया था कि जब मेम साहिबा ने परेश वाचूकी लड़कियोंको गाड़ी पर विठा डाक बङ्गलेमें पहुँचा दिया और लौटती वार रास्तेमें अपने स्वामीमे "धर चलिये," तब वे चौंक उठे और धड़ी . देखकर कहा-आठ बजकर बीस मिनट हो गये ! गाड़ी पर चलते समय मैजिस्ट्रेटने हारानबाडू से हाथ मिलाकर कहा--अापके साथ बातचीत करके मेरी आजकी सन्ध्या खूब मजे में कटी है। हारान बावूने डाक बङ्गले में पहुँचकर वे सब बातें सबको सुनाई जो कि श्राज मैजिस्ट्रेट से हुई थीं ! परन्तु उसने. गोराके आने का उल्लेख 'नहीं किया । कहा,