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पृष्ठ:गोरा.pdf/२२१

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गोरा

गोरा [ २२१ अनुरोधका ख्याल न करें ? आज किसी तरह अभिनय हो ही नहीं सकता! बरदामुन्दरीने चटपट ललिवाकी बातको दबाते हुए कहा-ललिता, न तो अच्छी लड़की देख पड़ती है। विनय आबू को क्या अाज नहाने- खाने न देगी ? जानती है, दो बजे गये हैं ! देख तो उनका मुँह सूख रहा है, चेहरा कैसा हो रहा है ! विनय ने कहा- यहाँ हम उसी मैजिस्ट्रेट के अतिथि हैं। इन घर में मैं तो स्नान भोजन नहीं कर सकेंगा ! वरदामुन्दरीने बहुत अनुनय विनय करके विनय को समझाने की चेष्य की। सब लड़कियोंका चुप बैठे देख कर. खफा हो कर वह कहने लग. -- तुम सबको हो क्या गया है ? मुची तुम्ही विनय बाबू को जरा समझायो ? हमने जवान दे रकवी है . सब लोग निमन्त्रण देकर बुलाये जा चुत्र है; अाजका दिन किसी तरह बिता देना चाहिये-नहीं तो मला वे सब लोग क्या ख्याल करेंगे तुहीं बताओं! मैं तो फिर उन लोगों के प्राने मुंह नहीं दिखा सकगी नुचरिता चुइचार मुह नोचा किये बैठी रहीं। विनय पास ही नदी पर टीमरमें चला गया । वह स्टीमर आज दो तीन घन्टे के भीतर ही यात्रियोंको लेकर कलकचे को रवाना होगा- कल आठ बजेके लगभग व पहुँच जायगा । हारान बाबू उत्तेजित हो उठे, और विनय तथा गोरा की निल्दा करने लगे । सुचरिता चटपट कुसी न उटकर पासकी कोटरीमें चली गई, और जोरसे दरवाजा भेड़ दिया । दम भर बाद ही ललिता भी दरवाजा खोल कर भीतर पहुँची। उसने देखा, सुचरिता दोनों हाथोंसे मुँह ढके विस्तर पर पड़ी हुई है। ललिताने भीतरसे दरवाजा बन्द कर लिया । फिर सुचरिताके पास बैठकर धीरे-धीरे उसके सिरके बालोंमें अंगुलि संचालन करने लगी। कई मिनटके बाद सुचरिता जब शान्त हुई, तब जबरदस्ती उसके मुँह ।