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पृष्ठ:गोरा.pdf/५४

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। ९. ] ऊपर वशमदेमें टेविल पर सफेद कपड़ा बिछा हुना था टेबिलके चारों ओर कुर्सियाँ रक्खी थी। रेलिंग के बाहर कार्निसके ऊपर छोटे-छोटे ढबोंमें पाम और अन्य फूलोंके पेड़ थे। बरामदे के ऊपरसे रास्ते के किनारेके मौलसिरी और कृष्णचूड़ा वृक्षोंकी पवित्र स्निग्धता दिखाई पड़ती थी। सूर्य उस समय भी अस्त नहीं हुए थे--पश्चिम आकाश से फीकी धूप सीधी होकर बरामदेके एक किनारे में आ पड़ी थी। उस समय छत पर कोई नहीं था। दम भर बाद ही सतीश एक सफेद और काले रङ्गके छोटे कुत्तेको लेकर उपस्थित हुआ । उस कुत्ते का नाम था टेनी। टेनीमें जितनी और जितने प्रकारकी विद्या थी; सो सब सतीशने विनयको दिखा दी । कुत्ते ने एक पैर उठा कर सलाम किया फिर दो पैर से खड़ा होकर नाचने लगा। किसी एक कमरेसे बीच बीच में लड़कियों के गलेकी हँसीकी खिल- खिलाहट और कौतुकपूर्ण कंट स्वर और उसके साथ ही एक मर्दकी आवाज भी सुनाई पड़ रही थी। वह थोड़ा बहुत हास्य कौतुकका शब्द विनयके मनके भीतर एक अपूर्व मधुरताके साथ साथ जैसे एक प्रकार की ईर्षाकी वेदना भी ले आया । विनय जबसे सवाना हुअा तबसे उसने घरके भीतर लड़कियोंके गलेकी ऐसी आनन्दकी कलध्वनि इस तरह कभी नहीं सुनी। यह आनन्दकी माधुरी उसके इतने निकट उच्छ्वसित हो रही है, तो भी वह उनसे इतना दूर है ! सतीश विनयके कानोंके पास न जाने क्या क्या कहता जाता था; मगर विनय जैसे उसे सुन ही नहीं रहा था। उसका मन और ही तरफ था। परेश बाबूकी स्त्री अपनी तीनों लड़कियोंको साथ लिये छत पर