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पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१४६

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गोल-सभा हिंदू-मुस्लिम-मतभेद से क्या संबंध है ? मैं उनको यही जवाब देता हूँ कि धर्म भी अपने ढंग की निराली राजनीति है । मेरा पहला कर्तव्य मेरे परवरदिगार के लिये है । डॉ० मुंजे का भी पहला धर्म परमेश्वर के लिये है । जहाँ इस कर्तव्य का प्रश्न है, वहाँ मैं प्रथम मुसलमान हूँ, और डॉ० मुंजे प्रथम हिंदू हैं। किंतु जहाँ भारत का संबंध है, जहाँ स्वाधीनता का प्रश्न है, और जहाँ भारत के लाभ का प्रश्न है, वहाँ मैं प्रथम भार- तीय, द्वितीय भारतीय और अंतिम भारतीय हूँ। यही नहीं, जहाँ कर तथा लगान आदि का प्रश्न है, वहाँ भला मेरे मुख से यह कैसे निकल सकता है कि मैं मुसलमान हूँ, और वह हिंदू है ? भारत में हिंदू-मुसलमानों की लड़ाई के प्रश्न पर विश्वास करना गलती करना है।" मृत्यु के एक दिन पूर्व मौलाना आधी रात तक काम करते रहे। आप एक अपील लिख रहे थे, जिसमें सांप्रदायिक भेद-भावों को भूलकर भारतीय राष्ट्र के लिये मिलकर काम करने की योजना थी। अधिक दिमागी काम करने से उनके मस्तिष्क की रक्त- नाली फट गई । ५ बजे सुबह वह बेहोश हो गए। मौलाना शौकतअली वहाँ हाज़िर न थे, एक सप्ताह पूर्व आयलैंड गए हुए थे। प्रातःकाल ही वह लंदन आए, परंतु उन्हें भाई से बात- चीत करने का अवसर न मिला। बजकर ३० मिनट पर उनके वीर प्राण नश्वर शरीर से जुदा हो गए। उस समय मौलाना शौकतअली के मुख से जो वाक्य निकले, वे ये थे-